त्रिनिदाद एंड टोबैगो, 4 जुलाई 2025:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के त्रिनिदाद एंड टोबैगो दौरे के बीच यह सवाल चर्चा में है कि आखिर महज 15 लाख की आबादी वाला यह छोटा देश कैरेबियाई क्षेत्र का सबसे समृद्ध राष्ट्र कैसे बना। वर्ल्ड बैंक की सूची में इसे “हाई इकोनॉमी” वाले देशों में गिना जाता है। यह देश दो द्वीपों—त्रिनिदाद और टोबैगो—से मिलकर बना है और इसकी साक्षरता दर 98.6% है।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो की समृद्धि का सबसे बड़ा कारण इसके पास मौजूद तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं। यह देश कैरेबियन क्षेत्र का सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक है और अमेरिका, यूरोप तथा भारत को बड़े पैमाने पर प्राकृतिक गैस, अमोनिया, मेथेनॉल और यूरिया निर्यात करता है।
1970 के दशक में इस देश ने औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी और तेल-गैस से होने वाली कमाई को बुनियादी ढांचे में निवेश किया। इससे ऊर्जा संयंत्र, शोधन कारखाने और फैक्ट्रियों का विकास हुआ।
सरकार ने विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और शिक्षा पर बड़े पैमाने पर खर्च किया। युवाओं को तकनीकी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार योग्य बनाया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि देश को न केवल बेहतर पेशेवर मिले बल्कि “ब्रेन ड्रेन” जैसी समस्या से भी बचाव हुआ।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो की भौगोलिक स्थिति भी इसकी सफलता में अहम भूमिका निभाती है। यह दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन के बीच स्थित है, जो इसे समुद्री व्यापार और ऊर्जा मार्गों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।
इस देश की सत्ता में भारतीय मूल के लोगों की भागीदारी भी उल्लेखनीय है। राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर दोनों भारतीय मूल की हैं। बिसेसर मई 2025 में पुनः प्रधानमंत्री बनीं और वे यहां की पहली भारतीय मूल की महिला प्रधानमंत्री भी हैं।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो आज न केवल प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी नीतिगत दूरदर्शिता और सामाजिक निवेश के कारण भी कैरेबियन में नेतृत्व करता है।