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भारत बंद और बिहार चक्का जाम: 25 करोड़ कर्मचारियों की हड़ताल, विपक्षी दलों का बड़ा आंदोलन

नई दिल्ली/पटना, 8 जुलाई:
देशभर में 9 जुलाई को एक बड़ा जनांदोलन होने जा रहा है। 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान बैंकिंग, डाक, परिवहन, बीमा, कोयला और निर्माण सहित कई अहम सेवाएं ठप रह सकती हैं। वहीं बिहार में विपक्षी महागठबंधन ने चुनाव आयोग के खिलाफ राज्यव्यापी चक्का जाम का ऐलान किया है, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल होंगे।

इस हड़ताल का आयोजन देश की 10 प्रमुख ट्रेड यूनियनों— AITUC, CITU, HMS, INTUC, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC—ने किया है। इनका आरोप है कि सरकार मजदूरों के हितों की अनदेखी कर कॉरपोरेट समर्थक नीतियां लागू कर रही है। नए लेबर कोड के जरिए यूनियनों को कमजोर किया जा रहा है, काम के घंटे बढ़ाए जा रहे हैं, और श्रमिकों के अधिकारों को सीमित किया जा रहा है। इसके अलावा निजीकरण, संविदा व्यवस्था और बेरोजगारी पर सरकार की उदासीनता को लेकर भी नाराजगी है।

संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर संगठनों ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है, जिससे ग्रामीण भारत में भी बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन की संभावना है।

बिहार में चुनाव आयोग की मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) के विरोध में महागठबंधन दलों ने चक्का जाम का ऐलान किया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से जानबूझकर वोटरों को हटाया जा रहा है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने इसे “वोटबंदी” कहा है, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी पर मतदाताओं को दबाने का आरोप लगाया है।

राहुल गांधी पटना पहुंचकर विपक्षी नेताओं के साथ इस बंद में हिस्सा लेंगे। राज्यभर में सार्वजनिक परिवहन और मालवाहन सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका है। हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं बाधित नहीं होंगी।

यह हड़ताल सरकार और जनता के बीच नीति निर्धारण को लेकर गंभीर असहमति की ओर संकेत करती है। इससे पहले भी 2020, 2022 और 2024 में इसी तरह के विरोध हो चुके हैं, लेकिन इस बार राजनीतिक और सामाजिक दबाव कहीं अधिक नजर आ रहा है।

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