
विंडहोक, 9 जुलाई 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पांच देशों के दौरे के अंतिम चरण में आज नामीबिया पहुंचे, जहां वे देश के राष्ट्रपिता डॉ. सैम शफीशुना नुजोमा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके साथ ही पीएम मोदी नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नांदी-नदैतवा से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे। संभवतः वे नामीबिया की संसद को भी संबोधित करेंगे। इस मौके पर देशभर में डॉ. नुजोमा को याद किया जा रहा है, जिन्होंने नामीबिया को आजादी दिलाने के लिए जीवन समर्पित किया।
डॉ. सैम नुजोमा का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने रेलवे कर्मचारी के रूप में कार्य किया, लेकिन धीरे-धीरे वे राजनीति से जुड़ते चले गए। 1966 में जब नामीबिया में स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ, तो नुजोमा इस आंदोलन का मुख्य चेहरा बन गए। उनके नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका के गोरे शासन के खिलाफ 25 वर्षों तक संघर्ष चला।
30 वर्ष की उम्र में उन्हें देश से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने विदेश में रहते हुए संयुक्त राष्ट्र में नामीबिया की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखा। उन्होंने ज़ांबिया, तंज़ानिया और न्यूयॉर्क में रहते हुए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया। दक्षिण अफ्रीका सरकार ने उन्हें “मार्क्सवादी आतंकी” घोषित कर दिया, लेकिन नुजोमा ने हार नहीं मानी।
अंततः 1990 में नामीबिया को स्वतंत्रता मिली और डॉ. नुजोमा देश के पहले राष्ट्रपति बने। उन्होंने बच्चों की शिक्षा, महिलाओं के अधिकार और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कार्य किया। वे 15 वर्षों तक राष्ट्रपति पद पर रहे और 2005 में सत्ता अपने उत्तराधिकारी को सौंप दी।
डॉ. नुजोमा की जीवनगाथा प्रेरणा का स्रोत है—एक ऐसा नेता जिसने साधारण पृष्ठभूमि से उठकर पूरे देश का मार्गदर्शन किया और उसे आज़ादी दिलाई। उनका योगदान न केवल नामीबिया, बल्कि अफ्रीका के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।