
अशोकनगर (मध्य प्रदेश), 14 जुलाई 2025
मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है। यहां चंदेरी तहसील के नानकपुर गांव में एक युवक के अंतिम संस्कार को सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि गांव के नए श्मशान घाट का औपचारिक उद्घाटन नहीं हुआ था।
मृतक युवक पवन कुमार अहिरवार (25) हाल ही में एक दुर्घटना में घायल हुआ था। इलाज के बाद घर लौटने पर रविवार को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। जब परिजन उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए गांव के नव-निर्मित श्मशान घाट लेकर पहुंचे, तो पंचायत सचिव सविता रजक ने अंतिम संस्कार की अनुमति देने से मना कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि श्मशान घाट का उद्घाटन अब तक नहीं हुआ है, इसलिए उसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
घटना के समय क्षेत्र में तेज बारिश हो रही थी। मजबूरी में परिजनों ने पास के एक खाली मैदान में अस्थायी तौर पर चिता जलाने की व्यवस्था की। टीन की चादरों से एक ढांचा तैयार किया गया और कुछ लोग चादरों को हाथ से पकड़े खड़े रहे, ताकि शव भीग न जाए। लगातार बारिश के कारण चिता बार-बार बुझती रही, जिसे जलाए रखने के लिए डीजल डालना पड़ा।
परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पंचायत से अंतिम संस्कार के लिए सहायता राशि और लकड़ियों की मांग की थी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। गांव वालों ने बताया कि श्मशान घाट का निर्माण कई महीने पहले ही पूरा हो चुका है, लेकिन केवल उद्घाटन न होने के कारण उसका उपयोग नहीं किया जा रहा।
यह घटना प्रशासनिक लापरवाही के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं की भी घोर अवहेलना का प्रतीक बन गई है। सवाल यह है कि क्या किसी मृत व्यक्ति को सम्मानपूर्वक विदाई देने के लिए भी अब रिबन काटने की औपचारिकता जरूरी हो गई है? क्या अब मरने के बाद भी इंसान सरकारी प्रक्रिया का मोहताज बनकर रह जाएगा?