National

एनआरसी को लेकर बिहार, बंगाल और असम में सियासी हलचल तेज

पटना, 15 जुलाई 2025
बिहार में 2025 विधानसभा चुनावों से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत 35 लाख से ज्यादा मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाए जाने की प्रक्रिया ने सियासी विवाद को जन्म दे दिया है। इस कदम को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार बिहार और बंगाल में ‘बैकडोर एनआरसी’ लागू कर रही है, जबकि असम में यह काम खुले तौर पर किया जा रहा है।

चुनाव आयोग के मुताबिक, राज्य के 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 2.2% लोग स्थायी रूप से बाहर चले गए हैं, 1.59% की मृत्यु हो चुकी है और 0.73% एक से अधिक स्थानों पर रजिस्टर्ड हैं। SIR प्रक्रिया अभी 80% पूरी हुई है और 25 जुलाई तक चलेगी। आयोग का यह भी दावा है कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिक भी वोटर लिस्ट में शामिल पाए गए हैं, जिनके नाम अब हटाए जा रहे हैं।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग के पास यह तय करने का अधिकार नहीं है कि कौन नागरिक है और कौन नहीं। उन्होंने इसे “पिछले दरवाजे से NRC” करार दिया। वहीं, ममता बनर्जी ने भी असम सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह बंगाल में एनआरसी लागू करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया।

असम में भी स्थिति तनावपूर्ण है। वहां की सरकार ने वोटर लिस्ट के SIR के साथ NRC को जोड़ने की बात कही है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सीमावर्ती जिलों में दोबारा सत्यापन की प्रक्रिया चलाने की बात कही है। बताया जा रहा है कि राज्य में जल्द ही NRC की फाइनल लिस्ट जारी हो सकती है।

कांग्रेस ने भी आरोप लगाया है कि असम में पार्टी समर्थकों को ‘D वोटर्स’ के रूप में चिह्नित कर उन्हें सूची से हटाने की साजिश रची जा रही है। इसके साथ ही विपक्ष ने चुनाव आयोग को सरकार की कठपुतली करार दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button