
मुंबई, 19 जुलाई 2025:
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें उनके और पार्टी कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में आरोप है कि मनसे कार्यकर्ता दूसरे राज्यों से आए लोगों के खिलाफ भाषा के नाम पर हिंसा करते हैं, जो संविधान की भावना के खिलाफ है।
मुंबई निवासी वकील घनश्याम दयालू उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस में दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत तत्काल एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इन दिशानिर्देशों को पूरे देश में प्रभावी रूप से लागू करने के लिए चुनाव आयोग और राज्य सरकार को आदेश दिए जाने चाहिए।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज ठाकरे और उनकी पार्टी क्षेत्रीय भाषा के नाम पर राजनीति कर रहे हैं और उनके कार्यकर्ता उत्तर भारतीयों के खिलाफ लगातार हिंसक गतिविधियों में शामिल रहते हैं। यह व्यवहार न सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का उल्लंघन है बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय दिशा-निर्देशों का भी खुला उल्लंघन है।
इस याचिका में महाराष्ट्र सरकार, भारतीय निर्वाचन आयोग और अन्य संबद्ध प्राधिकरणों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे और राज्य सरकार को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दे ताकि देश में भाषायी आधार पर हो रही राजनीति और हिंसा पर लगाम लगाई जा सके।
ललिता कुमारी केस के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई संज्ञेय अपराध की सूचना देता है, तो पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करनी होगी। याचिकाकर्ता ने इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि राज ठाकरे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।