
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 26 जुलाई 2025:
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में नई कार्यकारिणी परिषद (ईसी) की नियुक्तियों को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ तीखा हमला बोला है। कहा कि देश में हजारों योग्य विद्वान हैं, लेकिन बीजेपी ने राजनेताओं को प्राथमिकता दी। यह शिक्षा के साथ खिलवाड़ है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की और इन नियुक्तियों को तत्काल रद्द करने की मांग की।
बता दें कि शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के निर्देश पर बीएचयू की कार्यकारिणी परिषद में आठ सदस्यों की नियुक्ति की। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, मेयर अशोक तिवारी, बीजेपी नेता दिलीप पटेल और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह जैसे नाम शामिल हैं। इसी मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय मीडिया से मुखातिब हुए और पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी और बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए इसे बीएचयू का “आरएसएस करण” करार दिया।
कांग्रेस का आरोप है कि इन नियुक्तियों से विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गरिमा को ठेस पहुंच रही है। कांग्रेस ने मांग की है कि बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पद्म पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों और शिक्षाविदों को कार्यकारिणी में शामिल किया जाए। राय ने कहा, “देश में हजारों योग्य विद्वान हैं, लेकिन बीजेपी ने राजनेताओं को प्राथमिकता दी। यह शिक्षा के साथ खिलवाड़ है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की और इन नियुक्तियों को तत्काल रद्द करने की मांग की।
अजय राय ने एक और गंभीर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “जब बीएचयू में स्थायी कुलपति थे, तब कार्यकारिणी परिषद नहीं थी। अब परिषद बन गई, तो कुलपति कार्यवाहक हैं। यह विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और शैक्षणिक माहौल पर सवाल उठाता है।” उनका कहना है कि बीएचयू जैसे वैश्विक शोध केंद्र को राजनेताओं के बजाय शिक्षाविदों के हाथों में होना चाहिए। अजय राय ने चेतावनी दी कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा, “सड़क से संसद तक, हम बीएचयू को बचाने के लिए आंदोलन करेंगे। यह सिर्फ आज का नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का सवाल है।”