
मुंबई | 28 जुलाई 2025
महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘माझी लाडकी बहन योजना’ में बड़ा घोटाला सामने आया है। राज्य की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की सहायता देने के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना का लाभ 14,298 पुरुषों ने फर्जी दस्तावेजों और पहचान बदलकर उठा लिया। इस फर्जीवाड़े में अब तक 21.44 करोड़ रुपये की राशि गलत तरीके से वितरित की जा चुकी है।
अगस्त 2024 में विधानसभा चुनावों से ठीक दो महीने पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में यह योजना शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य विधवा, तलाकशुदा, श्रमिक वर्ग और गरीब महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता देना था। लेकिन योजना के तहत पात्रता की शर्तों में भारी लापरवाही और दस्तावेजों की जांच में चूक के कारण अब यह योजना सवालों के घेरे में है।
सरकारी ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि हजारों पुरुषों ने अपना जेंडर महिला बताकर आवेदन किया और योजना का लाभ उठाया। सॉफ़्टवेयर जेंडर की गड़बड़ी पकड़ने में नाकाम रहा, जिससे यह फर्जीवाड़ा सामने नहीं आया। इसके अलावा, 2.36 लाख संदिग्ध नाम और 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को लाभ मिलने के मामले भी सामने आए हैं, जबकि योजना की शर्तों में यह स्पष्ट था कि 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को लाभ नहीं दिया जाएगा।
अब तक 431.70 करोड़ रुपये वृद्ध महिलाओं को वितरित किए जा चुके हैं और जांच में यह भी पाया गया कि 7.97 लाख परिवारों में दो से अधिक महिलाओं को लाभ मिला, जबकि नियमों के अनुसार एक परिवार से अधिकतम दो महिलाएं ही योजना में शामिल हो सकती हैं। इन अपात्र लाभार्थियों को 1196.62 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
राज्य सरकार ने इन सभी मामलों में वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और महिला बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने साफ किया है कि दोषियों से न केवल पैसा वसूला जाएगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार की जवाबदेही तय करने की मांग की है।






