
मुंबई, 31 जुलाई 2025
मालेगांव बम धमाके मामले में 17 साल बाद बड़ा फैसला आया है। NIA स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियां आरोप साबित करने में पूरी तरह विफल रहीं और सबूतों के अभाव में किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में धमाका हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की, लेकिन 2011 में केस NIA को सौंपा गया। NIA ने 2016 में चार्जशीट दायर की थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि NIA यह साबित नहीं कर सकी कि धमाके में इस्तेमाल की गई बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी। बाइक का चेसिस नंबर तक नहीं निकाला जा सका। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले कि उन्होंने बम बनाया या सप्लाई किया।अदालत ने यह भी माना कि जांच के दौरान सबूतों से छेड़छाड़ हुई, और घटनास्थल से सटीक फॉरेंसिक साक्ष्य इकट्ठा नहीं किए गए। चश्मदीदों के बयान भी बदलते रहे। कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म या रंग नहीं होता।
मामले में आरोपी बनाए गए लोगों में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, अजय राहिरकर, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकरधर द्विवेदी शामिल थे।कोर्ट ने पीड़ितों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।
बता दें, साध्वी प्रज्ञा इस मामले में आठ साल तक जेल में रहीं और उन्हें 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। वह बाद में भोपाल से बीजेपी की सांसद भी रहीं।17 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अब सभी आरोपियों को राहत मिल गई है।






