अमित मिश्र
प्रयागराज, 3 अगस्त 2025 :
यूपी में तीर्थराज प्रयागराज इस समय भयावह जल संकट से जूझ रहा है। गंगा और यमुना नदियां अपने विकराल रूप में हैं, और दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। इसके बावजूद मोक्ष की कामना से सड़क पर शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है गलियों में आरती होती है और कांवड़ियों का सफर भी जारी है। वहीं शहर और गांव रास्तों से सम्पर्क टूटने के बाद नाव के सहारे दिन रात दो रोटी के इंतजाम के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रयागराज में नदियों के बढ़ते जलस्तर से न सिर्फ शहर के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रखा है। मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर 2 किमी लंबा गारापुर-झूंसी संपर्क मार्ग पूरी तरह डूब चुका है। बदरा, सोनौटी, ढोलबजवा और पुरवा गांवों का शहर से संपर्क कट चुका है। वाहन नहीं, नावें चल रही हैं। लोग नावों से साइकिल और बाइक पार करा रहे हैं, बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, बिजली बंद है और लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
यहां धार्मिक, पारिवारिक और सामाजिक गतिविधियां भी बुरी तरह बाधित हो गई हैं। घाट डूबे हैं, अंतिम संस्कार की जगहें जलमग्न हैं, फिर भी संस्कार रुके नहीं। दारागंज में शास्त्री ब्रिज के नीचे का श्मशान घाट पूरी तरह पानी में डूब चुका है। दो सुलभ शौचालय परिसर और एक पुलिस चौकी भी जलमग्न हैं। मजबूरी में सड़कों पर अंतिम संस्कार हो रहे हैं। ‘शंकर लाल’ इलेक्ट्रॉनिक शवदाह गृह फुल हो चुका है, लोग नंबर लेकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। रसूलाबाद घाट भी अब बंद है।
सावन में जहां दशाश्वमेध घाट और संगम तट पर लाखों श्रद्धालु गंगाजल भरकर शिव पूजन करते हैं, वह परंपरा अब सड़कों पर निभाई जा रही है। गलियों से जल भरकर श्रद्धालु कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। पुरोहित गलियों में बैठकर पूजा-अर्चना करा रहे हैं।
आबादी की बात करें तो पनासा गांव (करछना) की निषाद बस्ती में घरों तक पानी पहुंच गया है। एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हैं। करैली की गड्ढा कॉलोनी डूब चुकी है, पुर कॉलोनी में भी पानी तेजी से फैल रहा है। कई इलाकों में सड़कें नदी बन चुकी हैं, और वहीं नावें चल रही हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 41 मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं और 13 ग्रामों का आवागमन बाधित है। प्रभावित वार्डों में राजापुर देह माफी, असदुल्लापुर, बेली कछार, मेहदौरी, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, दरियाबाद, म्योराबाद, नकौली, नेवादा आदि शामिल है। वहीं बदरा, सोनौटी, धोकरी, देहली भगेसर, हथसरा, फाफामऊ, गंगानगर, झरियारी, अमिलिया खुर्द सहित 13 गांवों का आवागमन प्रभावित है। बाढ़ में फंसे गांवों में प्रशासन ने 23 नावें लगाईं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अगर किसी के घर में कोई बीमार होता है, तो उसे पहले नाव से सड़क पार करनी होती है, फिर किसी और साधन से डॉक्टर तक पहुंचना पड़ता है। दूध, राशन, दवा सब नाव के सहारे लाया जा रहा है।
जिला प्रशासन के मुताबिक 95 बाढ़ राहत शिविरों में 431 परिवार के 1495 सदस्य रह रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों को लंच पैकेट बाटे जा रहे हैं। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा स्वयं राहत शिविरों की निगरानी कर रहे हैं। सुरक्षित स्थानों पर लोगों को पहुंचाया जा रहा है। शुद्ध पेयजल, भोजन और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। नावों से लगातार संपर्क बनाए रखा जा रहा है। आपदा की स्थिति में दो कंट्रोल रूम 0532-2641577 और 0532- 2641578 स्थापित कर टोल फ्री नम्बर 1077 भी जारी किया गया है।