
मॉस्को, 8 अगस्त 2025:
रूस की सबसे बड़ी ड्रोन फैक्ट्री ‘अलाबुगा’ में ईरानी डिजाइन वाले शाहेद-136 ड्रोन का उत्पादन अब पूरी तरह से रूस में ही हो रहा है, जिससे ईरान हाशिए पर चला गया है। एक टीवी डॉक्यूमेंट्री में रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस फैक्ट्री की झलक दिखाई, जिसमें 170 से ज्यादा ड्रोन तैयार हालत में दिखाए गए। फैक्ट्री के सीईओ तैमूर शागिवालिएव ने दावा किया कि यहां एल्युमिनियम रॉड से लेकर फाइबरग्लास फ्यूसलेज तक सब कुछ स्थानीय स्तर पर बनाया जा रहा है।
इस फैक्ट्री की विस्तारशीलता और उत्पादन क्षमता अब इस मुकाम पर पहुंच गई है कि रूस इन उन्नत ड्रोन को अन्य देशों को निर्यात करने की स्थिति में है—शायद भविष्य में ईरान को भी। लेकिन पश्चिमी खुफिया सूत्रों का कहना है कि इस विस्तार ने ईरान को नाराज़ कर दिया है। ईरान को उम्मीद थी कि वह रूस की मदद के बदले कुछ तकनीकी लाभ उठाएगा, लेकिन उसे न के बराबर समर्थन मिला। खासकर जब जून में इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, तो रूस की प्रतिक्रिया बेहद कमजोर रही।
2023 में रूस और ईरान के बीच 1.75 अरब डॉलर का करार हुआ था, जिसके तहत रूस को 6,000 शाहेद ड्रोन बनाने थे। यह लक्ष्य तय समय से एक साल पहले ही पूरा कर लिया गया। अब अलाबुगा फैक्ट्री हर महीने 5,500 से अधिक ड्रोन बना रही है, जिनकी कीमत भी घटकर 70,000 डॉलर रह गई है। इन ड्रोन में बेहतर संचार प्रणाली, लंबी बैटरी लाइफ और बड़े विस्फोटक लगाए गए हैं, जिससे ये पहले से कहीं अधिक खतरनाक हो गए हैं।
ईरानी विश्लेषकों का मानना है कि रूस का व्यवहार हमेशा से अवसरवादी रहा है। रूस ने ईरान से ड्रोन और तकनीक ली, लेकिन अब उसे नजरअंदाज कर रहा है। साथ ही, रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के चलते वह ईरानी कंपनियों को समय पर भुगतान नहीं कर पा रहा।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रूस ईरान को तकनीकी मदद और कुछ अपडेटेड ड्रोन भेजकर रिश्ते सुधारने की कोशिश कर सकता है, खासकर जब ईरान के कई सैन्य ठिकाने हाल ही में तबाह हो चुके हैं।