अलास्का, 11 अगस्त 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली बैठक के मद्देनजर वैश्विक सुरक्षा और यूक्रेन युद्ध की दिशा पर नई चिंताएँ बढ़ गई हैं। इस बैठक के परिणाम से यूक्रेन-रूस युद्ध के भविष्य का फैसला होगा, जो या तो शांति की राह खोल सकता है या फिर युद्ध को और विनाशकारी बना सकता है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप-पुतिन वार्ता का कड़ा विरोध किया है और युद्ध खत्म न करने की मंशा जताई है। जेलेंस्की ने साफ कर दिया है कि यूक्रेन की एक इंच जमीन भी रूस को नहीं दी जाएगी, जिसमें क्रीमिया क्षेत्र भी शामिल है। यूरोप ने भी जेलेंस्की का समर्थन करते हुए NATO देशों की बैठक में रूस की युद्धविराम योजना को खारिज कर दिया है।
अगर वार्ता विफल हुई तो रूस और अमेरिका के संबंध बिगड़ सकते हैं और यूरोप पर सैन्य हमले का खतरा बढ़ सकता है। ट्रंप, यूरोप और NATO से दूरी बना सकते हैं और रूस को यूरोप पर हमला करने की छूट मिल सकती है। ऐसे में फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, पोलैंड सहित कई यूरोपीय देश खतरे में पड़ सकते हैं।
ट्रंप की ओर से यूक्रेन को मिल रही सैन्य मदद बंद करने और खुफिया जानकारी रोकने की भी संभावना है, जिससे यूक्रेन की स्थिति कमजोर हो सकती है। इसके साथ ही ट्रंप जेलेंस्की विरोधी नेताओं से बातचीत कर यूक्रेन में राजनीतिक बदलाव की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
रूस और अमेरिका के बीच इस ऐतिहासिक बैठक को लेकर खुफिया एजेंसियां भी सतर्क हैं। दोनों नेताओं की सुरक्षा को लेकर खतरों की आशंका जताई जा रही है, जिसमें प्राइवेट मिलिट्री कंपनियों द्वारा हमला किए जाने की चेतावनी भी शामिल है।
अगर बैठक सफल रही तो यह दुनिया में शांति स्थापित करने का मौका होगा, लेकिन विफलता से एक नई वैश्विक तबाही, संभवतः परमाणु युद्ध का खतरा मंडराएगा और वैश्विक भूगोल में बड़ा बदलाव आएगा।
इस वार्ता की निगाहें पूरी दुनिया लगाए हुए है क्योंकि इसके नतीजे विश्व की राजनीति और सुरक्षा के लिए निर्णायक साबित होंगे।