
नई दिल्ली, 14 अगस्त 2025 –
भारत में अंग्रेजों का प्रभुत्व मुगल बादशाहों के गलत फैसलों की देन माना जाता है। 31 दिसंबर 1600 को इंग्लैंड में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई, जिसे महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 21 साल तक भारत के साथ व्यापार की अनुमति दी। अकबर के दौर में अंग्रेजों को प्रवेश नहीं मिला, लेकिन 1605 में जहांगीर के सिंहासन पर बैठते ही हालात बदलने लगे। शराब के शौकीन जहांगीर से विलियम हॉकिंस ने कई बार मुलाकात की, और 1611 में अंततः उसे व्यापार की अनुमति मिल गई। 1613 में सूरत में पहला कारखाना शुरू हुआ।
1615 में थॉमस रो ने जहांगीर की जली हुई बेटी जहांआरा का अंग्रेजी पद्धति से इलाज कर उसे ठीक किया, जिसके बदले कंपनी को स्थायी व्यापार अधिकार और फौज रखने की अनुमति मिली। शाहजहां के शासन में पुर्तगालियों के हमले के बाद अंग्रेजों की नौसेना की मदद लेने पर कंपनी को टैक्स और व्यापारिक प्रतिबंध से छूट मिल गई।
बंगाल में विस्तार के बाद 1757 की प्लासी की लड़ाई में अंग्रेजों ने नवाब सिराजुद्दौला को हराकर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज शुरू किया। 1857 में सिपाही विद्रोह के बाद बहादुरशाह जफर को सत्ता से बेदखल कर अंग्रेजों ने पूरी मुगल सल्तनत खत्म कर दी और भारत सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।