Uttar Pradesh

वाराणसी: गंगा घाटों पर सिल्ट का कब्जा…स्नान, पूजा-अर्चना रुकने से श्रद्धालु मायूस

अंशुल मौर्य

वाराणसी, 19 अगस्त 2025 :

यूपी की शिवनगरी काशी में गंगा का जलस्तर पिछले 12 घंटों से स्थिर है, लेकिन घाटों पर जमी सिल्ट की मोटी परत ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। घाटों के आपसी सम्पर्क टूटे हैं वहीं श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना न कर पाने से मायूस हैं। इस बीच शवों का दाह संस्कार किसी तरह जारी है।

गंगा बैराज से छोड़ा गया डेढ़ लाख क्यूसेक पानी, आने वाले दिनों में फिर बढ़ेगा जलस्तर

वाराणसी में मंगलवार सुबह 6 बजे गंगा का जलस्तर 66.9 मीटर दर्ज किया गया। सभी 84 घाटों का आपसी संपर्क बाढ़ के कारण टूटा हुआ है, जबकि हरिशचंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शवदाह जैसे-तैसे जारी है। इस बीच, कानपुर के गंगा बैराज से छोड़ा गया 1.5 लाख क्यूसेक पानी अगले 5-7 दिनों में काशी पहुंच सकता है, जिससे जलस्तर दोबारा बढ़ने की आशंका ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

घाटों पर दलदली मिट्टी से हादसों का जोखिम बढ़ा

गंगा के घटते जलस्तर के साथ घाटों पर सिल्ट और दलदली मिट्टी की मोटी परत जमा हो गई है, जो वाराणसी की खूबसूरती को धूमिल कर रही है। दशाश्वमेध, अस्सी और अन्य प्रमुख घाटों की सीढ़ियां कीचड़ से अटी पड़ी हैं, जिससे श्रद्धालुओं को गंगा स्नान में दिक्कत और पर्यटकों को आवाजाही में जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। कई पर्यटक इस गाद में फंसकर गिर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। तीर्थ पुरोहित सदन तिवारी ने बताया, “श्रद्धालु अब घाटों पर आने से कतरा रहे हैं, क्योंकि कीचड़ की वजह से स्नान और पूजा करना मुश्किल हो गया है।”

नगर निगम के लिए चुनौती, साफ-सफाई कर घाट संवारने में लगेगा दो माह का समय

नगर निगम ने कुछ घाटों पर वाटर प्रेशर से सिल्ट हटाने का काम शुरू किया है, जिसमें स्थानीय दुकानदार और पुरोहित भी हाथ बंटा रहे हैं। नगर निगम के PRO संदीप ने बताया, “जलस्तर स्थिर होने पर ही पूर्ण सफाई अभियान शुरू होगा, क्योंकि दोबारा जलस्तर बढ़ने की आशंका बनी हुई है।” फिलहाल, पर्यटकों की आवाजाही वाले घाटों पर प्राथमिकता से सफाई हो रही है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सभी घाटों को पूरी तरह साफ करने में 50-60 दिन लग सकते हैं।

चहल-पहल खत्म होने से कारोबार को लगी चपत

हर साल बाढ़ के बाद सिल्ट जमना वाराणसी के लिए आम है, लेकिन इस बार गाद की मोटी परत ने घाटों की सुंदरता और उपयोगिता पर गहरा असर डाला है। प्रशासन के लिए यह चुनौतीपूर्ण है कि समय रहते घाटों को स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जाए। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि सिल्ट के कारण कारोबार भी प्रभावित हो रहा है।

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