Uttar Pradesh

अयोध्या में 1936 से बिना मान्यता के चल रहा है यतीमखाना

अयोध्या,4 अक्टूबर 2024
उत्तर प्रदेश में रामनगरी अयोध्या में 88 साल से चल रहा
है एक यतीमखाना न केवल नियम विरुद्ध चल रहा है बल्कि पिछले एक साल में इसको 37 लाख रुपये की सरकारी सहायता मिल चुकी है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल कल्याण समिति की जांच में वर्ष 1936 से फैज़ाबाद शहर में चल रहा बड़ी बुआ की दरगाह पर बना मजलिस एकआना फंड मुस्लिम यतीमखाना म नियम विरूद्ध चलता पाया गया है।

पिछली 11 सितंबर को बाल कल्याण समिति ने यहां छापामारी की कार्रवाई की थी। इस दौरान एमवाइसके स्कूल भी संचालित होता मिला था। इसके बाद संचालक ने मान्यता से संबंधित दस्तावेज आयोग को सौंपा था।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के जांच में प्रस्तुत अभिलेख फर्जी (कूटरचित) मिले है।

वहीं अभी तक स्कूल के मान्यता से संबंधित प्रस्तुत दस्तावेज भी संदिग्ध है।

 प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से यहां मुस्लिम बच्चों को लाकर उन्हें इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है। सीडब्ल्यूसी के जांच के दौरान पाया गया कि यहां पढ़ने वाले बच्चों को आधुनिक शिक्षा के बजाय उन्हें अरबी और फारसी की तालीम दी जा रही थी।
 आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर एक सप्ताह में यतीमखाना के संचालक के खिलाफ कार्रवाई कराकर अवगत कराने के लिए कहा है। इस प्रकरण को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी संज्ञान ले चुके है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एक सप्ताह पहले सीएम के प्रमुख  सचिव संजय प्रसाद ने अयोध्या डीएम और एसएसपी को निर्देश दे दिया है। सीडब्ल्यूसी ने सौंपी जानकारी के अनुसार यतीमखाना को सितंबर 2023 से सितंबर 2024 तक 37 लाख से अधिक का फंड मिला है। इसके आय व्यय का ब्यौरा यतीमखाना संचालक के पास नहीं मिला। 

इतनी आय के बावजूद भी सीडब्ल्यूसी की जांच में बच्चों के लिए कोई सुख सुविधा नहीं पायी गयीं। यतीमखाना में 16 बच्चे मिले थे, जिस कमरे में रह रहे थे उस कमरे की हालत भी बहुत खराब थी। इतना ही नही यतीमखाना संचालकों पर आसपास स्थित लोगों की भूमि पर कब्जा करने के भी आरोप है। 

आयोग ने इस संबंध में भी जिलाधिकारी से राजस्व टीम गठित कर जांच की मांग की है। वहीं बिना मान्यता के लंबे समय से संचालित हो रहे यतीमखाना पर कार्रवाई न किया जाना आयोग ने गंभीरता से लिया है।

सीडब्ल्यूसी की जांच के बाद अब सवाल यह है कि यतीमखाना में तालीम हासिल करने के बाद आवासित बच्चों को कहां भेजा गया और कितने बच्चे अभी तक यतीमखाना में तालीम हासिल कर चुके है। समझा जाता है कि अब यतीमखाना के संचालक के खिलाफ जिला प्रशासन कार्रवाई करेगा।

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