नई दिल्ली, 04 Nov 2025
G20 की नई रिपोर्ट ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के सबसे अमीर 1% लोगों की संपत्ति साल 2000 से 2023 के बीच 62% तक बढ़ गई है। वहीं दुनिया भर में भी अमीरी-गरीबी की खाई (Wealth Gap) लगातार गहरी होती जा रही है।
इस रिपोर्ट को नोबेल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ की टीम ने तैयार किया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि Global Inequality अब “Emergency Level” पर पहुंच चुकी है, जो लोकतंत्र, आर्थिक स्थिरता (Economic Stability) और Climate Action के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।
दुनिया की 1% आबादी के पास 41% संपत्ति
रिपोर्ट बताती है कि 2000 से 2024 के बीच दुनिया के सबसे अमीर 1% लोगों ने नई कमाई गई कुल संपत्ति का 41% हिस्सा अपने पास कर लिया, जबकि दुनिया की आधी आबादी को सिर्फ 1% ही हिस्सा मिला। यह स्थिति बताती है कि Wealth Distribution में भारी असंतुलन (Imbalance) है।

भारत और चीन में हुई Income Growth
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन जैसे बड़े देशों में प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) बढ़ी है, जिससे दुनिया के सबसे अमीर देशों की हिस्सेदारी थोड़ी कम हुई है। फिर भी, भारत में Top 1% अमीरों ने बाकी आबादी की तुलना में बहुत तेज़ी से संपत्ति बढ़ाई। भारत में जहां 1% लोगों की Wealth 62% बढ़ी, वहीं चीन में यह बढ़ोतरी 54% रही।
असमानता बन रही है लोकतंत्र के लिए खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों में असमानता ज़्यादा है, वहां लोकतंत्र के कमजोर पड़ने का खतरा सात गुना अधिक होता है। इसका मतलब यह है कि जब अमीर और गरीब के बीच अंतर बहुत बढ़ जाता है, तो समाज में अस्थिरता बढ़ती है और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर असर पड़ता है।
गरीबी और भूख का संकट
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 2.3 अरब लोग आज भी भूख या Food Insecurity से जूझ रहे हैं। 1.3 अरब लोग ऐसे हैं, जो स्वास्थ्य पर खर्च की वजह से गरीबी में जी रहे हैं। साल 2020 के बाद से वैश्विक गरीबी में कमी लगभग रुक गई है — और कई जगहों पर हालात उल्टे बिगड़े हैं।

क्या है समाधान?
रिपोर्ट में कहा गया है कि असमानता (Inequality) कोई “कुदरती” चीज़ नहीं है, बल्कि इंसानी फैसलों का नतीजा है, जिसे Political Will से बदला जा सकता है। इसके लिए एक नया सुझाव भी दिया गया है-“International Inequality Panel (IIP)” बनाने का, जो असमानता पर डेटा इकट्ठा करेगा और नीतियां बनाने में सरकारों की मदद करेगा।
रिपोर्ट साफ कहती है कि अगर दुनियाभर की सरकारों ने अब कदम नहीं उठाए, तो अमीर और गरीब के बीच बढ़ती यह दूरी आने वाले सालों में लोकतंत्र और समाज — दोनों के लिए गंभीर खतरा बन जाएगी।






