लखनऊ, 8 नवंबर 2025:
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को शुक्रवार को लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को बदनाम करने और सरकारी पद का दुरुपयोग करने से जुड़े मानहानि मामले में अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। फैसले के बाद आजम खान मुस्कुराते हुए कोर्ट से बाहर निकले और कहा कि यह बहुत ईमान वाला फैसला है। उन्होंने जज का शुक्रिया अदा किया।
2019 में दर्ज हुआ था मामला
पूर्व मंत्री के खिलाफ फरवरी 2019 में लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप था कि वर्ष 2014 में मंत्री रहते हुए आजम खान ने अपने सरकारी लेटरपैड और मुहर का दुरुपयोग किया था। उन्हीं लेटरपैड पर जारी किए गए छह पत्रों में आरएसएस, शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद और उनके निजी सचिव इमरान नकवी के खिलाफ अपमानजनक बातें लिखी गई थीं। यह एफआईआर सामाजिक कार्यकर्ता अल्लामा जमीर नकवी की ओर से दर्ज कराई गई थी।
ठोस सबूत न मिलने पर अदालत ने किया बरी
मामले की सुनवाई लखनऊ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय), एमपी-एमएलए कोर्ट आलोक वर्मा की अदालत में हुई। अदालत ने पाया कि आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिले। इसके बाद आजम खान को बरी कर दिया गया। आजम खान की पेशी को देखते हुए न्यायालय परिसर और आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे। कोर्ट से बाहर निकलते हुए आजम खान ने मीडिया से कहा कि न्यायालय से ही आस बची है। आज मैं अटैची लेकर आया था, क्योंकि पिछली बार एक ऐसे ही मुकदमे में मुझे सात साल की सजा हुई थी। तब अटैची लेकर नहीं आया था।






