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दुनिया की ये खतरनाक बीमारी, जो फेफड़ों पर करती है सीधे अटैक! क्या आप जानते हैं इसके लक्षण?

निमोनिया फेफड़ों पर सीधा असर डालता है और बच्चों व बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकता है। सही वैक्सीनेशन और सावधानी इसे काफी हद तक रोक सकती है।

लखनऊ, 12 नवंबर 2025:

दुनिया का एक ऐसा संक्रमण, जो फेफड़ों को सीधे प्रभावित करता है। इसका नाम ‘निमोनिया’ है। यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस की वजह से होता है। छोटे बच्चों और बूढ़े लोग इस बीमारी के लिए सबसे ज्यादा कमजोर हैं। हर साल दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र के लाखों बच्चे इस बीमारी से मर जाते हैं। इसीलिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस (World Pneumonia Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें इस संक्रमण से बचाव के लिए सतर्क रहना चाहिए।

कैसे होता है निमोनिया?

फेफड़ों में छोटी-छोटी हवा की थैलियों में तरल जम जाता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए यह बहुत खतरनाक है।

Deadly Lung Disease Awareness
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क्या होते हैं इसके लक्षण?

निमोनिया के लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं। आम तौर पर लोग खांसी (कभी-कभी बलगम के साथ), बुखार, ठंड लगना, सांस लेने में परेशानी और सीने में दर्द महसूस कर सकते हैं, खासकर जब वे खांसते या गहरी सांस लेते हैं।

कौन हैं सबसे ज्यादा प्रभावित?

नवजात और छोटे बच्चे, 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग, धूम्रपान करने वाले और जिनको पुरानी बीमारियां हैं, ये सबसे ज्यादा रिस्क में रहते हैं। डायबिटीज, अस्थमा, COPD, हृदय रोग या कैंसर के मरीजों के लिए भी यह खतरनाक हो सकता है।

टीकाकरण: बचाव की सबसे आसान चाबी

वैक्सीन इस बीमारी से बचाव का सबसे असरदार तरीका है। बुजुर्ग और बीमार लोग डॉक्टर से सलाह लेकर न्यूमोकोकल और फ्लू की वैक्सीन जरूर लें।

साफ-सफाई और अपनाएं ये जीवनशैली

हाथ धोना, प्रदूषण से बचना, घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना और मास्क पहनना (N95 या N99) बहुत मददगार है। खाने में विटामिन सी और जिंक शामिल करना भी इम्यूनिटी मजबूत करता है। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही समय पर सावधानी और वैक्सीन से इससे खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रखा जा सकता है।

निमोनिया में कौन सी पी सकते हैं चाय?

चिकित्सकों का मानना है कि निमोनिया में हर्बल चाय पीना सुरक्षित है और आराम देती है। पुदीना, नीलगिरी और मेथी की चाय खांसी कम करती है, गले की सूजन घटाती है और सांस लेने में मदद करती है। चाय ज्यादा गर्म न हो और दूध वाली चाय न पिएँ, क्योंकि इससे गले और पेट की परेशानी हो सकती है। अगर सांस में दिक्कत या तेज बुखार हो तो सिर्फ घरेलू उपायों पर भरोसा न करें और डॉक्टर से सलाह लें। सही इलाज और संतुलित डाइट से जल्दी ठीक होना आसान होगा।

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