अयोध्या, 20 नवंबर 2025:
राम मंदिर के मुख्य शिखर पर 25 नवंबर को भव्य ध्वजारोहण होगा। दोपहर 11:58 बजे से 1 बजे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बटन दबाकर ध्वज फहराएंगे। यह ध्वज न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अयोध्या की परंपरा, सूर्यवंश और रामायण की विरासत का प्रतीक भी है।
केसरिया रंग का यह ध्वज अहमदाबाद के कारीगरों ने तैयार किया है। इसमें सूर्य का चिह्न बना है, जिसके मध्य में ॐ अंकित है। इसके साथ कोविदार वृक्ष का चित्र भी जोड़ा गया है, जो अयोध्या के प्राचीन राजध्वज का हिस्सा माना जाता था और इसका उल्लेख हरिवंश पुराण और वाल्मीकि रामायण में मिलता है। ध्वज का आकार 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है और यह लगभग 4 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देगा।
राम मंदिर का मुख्य शिखर 161 फीट ऊंचा है, जिसके ऊपर 30 फीट का ध्वजदंड लगाया गया है। यानी कुल ऊंचाई धरती से 191 फीट हो जाती है। ध्वजदंड की ऊंचाई और प्रक्रिया को देखते हुए सेना और रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों की सहायता ली जा गई है।
इस ध्वज को विशेष नायलॉन पैराशूट फैब्रिक से बनाया गया है, जो धूप, बारिश और तेज हवाओं में भी खराब नहीं होता। इस पर डबल-कोटेड सिंथेटिक लेयर लगाई गई है, जिससे नमी, गर्मी और तापमान में बदलाव का असर कम पड़ता है। ध्वज का वजन लगभग ढाई किलो है और इसकी उम्र करीब तीन साल मानी जा रही है। परीक्षण के दौरान रस्सी टूटने के बाद इसे बदला गया और नई रस्सी कानपुर से मंगाई गई, जिसमें स्टेनलेस स्टील कोर और नायलॉन फाइबर का इस्तेमाल हुआ है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि इस ध्वज में इस्तेमाल किया गया फैब्रिक 200 किमी/घंटा तक की हवा झेल सकता है। हालांकि इसकी मजबूती ध्वजदंड और उसकी संरचना पर भी निर्भर करती है।
ध्वज पर बना सूर्य और कोविदार वृक्ष सूर्यवंश की परंपरा का प्रतीक हैं। भगवान राम सूर्यवंशी थे, इसलिए सूर्य का चिह्न लगाया गया है। ॐ सनातन परंपरा की पवित्रता को दर्शाता है। ध्वज फहरते ही अयोध्या में मंदिरों, मठों और घरों में घंटे-घड़ियाल की ध्वनि के साथ धार्मिक माहौल बन जाएगा।
ध्वज फहराने के लिए ऑटोमैटिक फ्लैग होस्टिंग सिस्टम लगाया गया है। इसी सिस्टम से आगे चलकर ध्वज बदला भी जाएगा। यह सिस्टम ध्वज को हवा के साथ 360 डिग्री घूमने की सुविधा देता है। हालांकि ट्रस्ट ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि ध्वज कितने अंतराल पर बदला जाएगा।






