लखनऊ, 21 नवंबर 2025
कल्पना कीजिए, सिर्फ 21 साल के एक नवजवान ने जो बनाया, वही कुछ सालों में पूरी दुनिया का ध्यान खींचने वाला बन गया। एक छोटा सा बॉक्स, जिसे लोग प्यार से ‘बुद्धू बक्सा’ कहते थे। लेकिन इसी छोटे-से बक्से ने लोगों की दुनिया बदल दी, खबरें मिनटों में पहुँचाईं और घर-घर में मनोरंजन का जादू फैलाया। भारत में भी यह “बुद्धू बक्सा”आया और हर घर की कहानी का हिस्सा बन गया।
इसी पल को याद करने के लिए हर साल 21 नवंबर को ‘World Television Day’ मनाया जाता है। टीवी ने हमारे जीवन में एक नई क्रांति लाई है। इससे न सिर्फ मनोरंजन मिलता है बल्कि हम खबरें, शिक्षा और राजनीति तक की जानकारी तुरंत पा सकते हैं। टीवी ने समाज में जागरूकता फैलाने और दुनिया को जोड़ने में बेहद अहम भूमिका निभाई है।
कैसे हुआ टीवी का जन्म?
टेलीविजन की कहानी की शुरुआत स्कॉटिश इंजीनियर जॉन लोगी बेयर्ड से हुई। जब उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी, तब उन्होंने साल 1924 में पहला टीवी तैयार किया। इसके बाद साल 1927 में फार्न्सवर्थ ने पहला वर्किंग टीवी बनाया और 1 सितंबर 1928 को इसे प्रेस के सामने पेश किया। उसी साल जॉन लोगी बेयर्ड ने रंगीन टीवी का आविष्कार किया। पहली बार पब्लिक के लिए ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत साल 1940 में हुई।
भारत में टीवी कब आया?
टीवी के आविष्कार के लगभग 3 दशक बाद, भारत में इसकी शुरुआत हुई। 15 सितंबर 1959 को नई दिल्ली में यूनेस्को की मदद से टेलीविजन शुरू हुआ। यह ऑल इंडिया रेडियो के अंतर्गत आया। पहला ऑडिटोरियम आकाशवाणी भवन में बनाया गया और इसका उद्घाटन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया। भारत में पहला रंगीन प्रसारण 15 अगस्त 1982 को इंदिरा गांधी के भाषण के साथ हुआ। इसके बाद रामायण और महाभारत जैसे सीरियल ने हर घर में टीवी को लोकप्रिय बना दिया।
टीवी का महत्व आज भी कम नहीं
आज भले ही OTT प्लेटफॉर्म चल रहे हों, लेकिन टीवी का प्यार अभी भी लोगों में उतना ही है। यह केवल मनोरंजन का जरिया नहीं है, बल्कि दुनियाभर की खबरें मिनटों में लोगों तक पहुँचाने का तरीका भी है। पहले खबरें पहुंचने में महीने लगते थे, अब टीवी ने सब कुछ आसान बना दिया है।
World Television Day सिर्फ टीवी का जश्न नहीं है बल्कि उस शक्ति का उत्सव है जिसने दुनिया को जोड़ा और सूचना के नए युग की शुरुआत की।






