लखनऊ, 4 दिसंबर 2025 :
हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाने वाला ‘भारतीय नौसेना दिवस’ (Indian Navy Day 2025) सिर्फ एक सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति, तकनीक और साहस का सबसे बड़ा प्रतीक है। दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों की सुरक्षा से लेकर संकट की घड़ी में तुरंत कार्रवाई तक इंडियन नेवी देश की ढाल भी है और गौरव भी। भारत का समुद्री इतिहास आज का नहीं बल्कि हजारों साल पुराना रहा है, जहां प्राचीन साम्राज्य भी अपनी नौसैनिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।

क्यों मनाया जाता है भारतीय नौसेना दिवस?
भारत का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत 1961 में शामिल हुआ और 1971 के युद्ध में कराची बंदरगाह को घेरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी युद्ध के दौरान 4 दिसंबर 1971 को भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत कराची पोर्ट पर मिसाइल हमला किया, जो दुनिया को चौंका देने वाला कदम था। इसी जीत को सम्मान देने के लिए हर साल Navy Day मनाया जाता है।
कैसे पड़ी आधुनिक इंडियन नेवी की नींव?
26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के साथ ही रॉयल इंडियन नेवी का नाम बदलकर Indian Navy रखा गया। आज यह 7500 किमी लंबी समुद्री सीमा, 1200 से ज्यादा द्वीप और विशाल एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) की सुरक्षा करती है। मलक्का स्ट्रेट से लेकर फारस की खाड़ी तक भारतीय निगरानी रहती है।
तीनों सेनाओं की संयुक्त शक्ति
अंडमान-निकोबार कमांड भारत की पहली ट्राई-सर्विस कमांड है, जहां आर्मी, नेवी और एयरफोर्स एक साथ ऑपरेट करते हैं। यह पूरे भारतीय महासागर क्षेत्र में रणनीतिक स्पाइन की तरह काम करती है। INS अरिहंत भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है। यह भारत को जमीन, हवा और समुद्र-तीनों माध्यमों से न्यूक्लियर जवाब देने की क्षमता देती है, जिसे “nuclear triad” कहा जाता है।
Make in India से बना हाई-टेक नौसेना बेड़ा
भारत आज खुद शिवालिक फ्रिगेट, कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर और कमोर्टा कॉर्वेट जैसे आधुनिक युद्धपोत तैयार कर रहा है। इससे नेवी की ताकत और आत्मनिर्भरता तेजी से बढ़ी है। स्कॉर्पीन सबमरीन प्रोजेक्ट 75 के तहत INS Kalvari समेत कई पनडुब्बियां पहले ही शामिल की जा चुकी हैं। आने वाला प्रोजेक्ट 75I भारत को और मजबूत underwater power देगा।
ह्यूमेनिटेरियन मिशनों में भी सबसे आगे
2015 में यमन में फंसे लोगों को बाहर निकालने वाला ऑपरेशन राहत भारतीय नौसेना की क्षमता का बड़ा उदाहरण है। नेवी लगातार कई देशों के साथ संयुक्त अभ्यास भी करती है। 2018 में सब-लेफ्टिनेंट शिवांगी पहली महिला पायलट बनीं। आज महिलाएं वॉरशिप ड्यूटी से लेकर टेक्निकल, लॉजिस्टिक्स, एयर ऑपरेशन और ATC तक हर क्षेत्र में सक्रिय हैं।
क्या है नौसेना से जुड़े मिथकों की सच्चाई?
अक्सर माना जाता है कि नेवी में सिर्फ लड़ाई होती है, लेकिन सच्चाई यह है कि नेवी का बड़ा हिस्सा इंजीनियरिंग, मेडिकल, साइबर सिक्योरिटी, रिसर्च और रेस्क्यू मिशनों में भी काम करता है। एक और मिथक है कि सिर्फ अच्छे तैराक ही नेवी में जा सकते हैं, जबकि कई ब्रांचों में यह जरूरी नहीं होता और ट्रेनिंग के दौरान स्विमिंग सिखाई जाती है। नेवी को लेकर यह भी गलतफहमी है कि यहां हमेशा समुद्र में रहना पड़ता है, जबकि कई शोर-बेस्ड पोस्टिंग, डॉकयार्ड और ट्रेनिंग सेंटर्स भी होते हैं। महिलाओं को लेकर पूर्व में बनी धारणाएँ भी गलत हैं, क्योंकि आज महिलाएँ लगभग हर महत्वपूर्ण पद पर काम कर रही हैं।






