नई दिल्ली, 5 दिसंबर 2025:
चार साल के लंबे अंतराल के बाद जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर की शाम भारत की धरती पर उतरे, तो सिर्फ दिल्ली के रनवे पर ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के न्यूजरूम में हलचल मच गई। भारत का गर्मजोशी भरा स्वागत, मोदी-पुतिन की मुलाकात और डिनर डिप्लोमैसी… इन सबने ग्लोबल मीडिया का फोकस अचानक भारत पर टिका दिया। अमेरिका से लेकर यूक्रेन और कतर से लेकर ब्रिटेन तक, हर बड़े मीडिया हाउस ने इस दौरे को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़े संकेत के तौर पर देखा है।
पुतिन की इस यात्रा को BBC ने ऐसे समय की अहम घटना बताया है जब अमेरिका भारत पर रूसी तेल खरीद में कमी लाने का दबाव बना रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत और रूस की दोस्ती कई दशकों पुरानी है-चाहे वह रक्षा सहयोग हो, सस्ता तेल हो या रूस में स्किल वर्कर्स की कमी को पूरा करने की भारत की क्षमता। BBC के मुताबिक, यह दौरा यह भी संदेश देता है कि पश्चिमी प्रतिबंधों और यूक्रेन युद्ध के बावजूद रूस दुनिया से अलग-थलग नहीं है।
यूक्रेन केअंग्रेजी ऑनलाइन समाचार पत्र ‘कीव इंडिपेंडेंट’ ने इसे भारत की कूटनीति की बड़ी परीक्षा बताया है। इसकी रिपोर्ट कहती है कि भारत-रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अपने रिश्ते संतुलित रखने की कोशिश कर रहा है। यूक्रेन के कई विशेषज्ञों का मानना है कि अब असली परीक्षा यह है कि क्या पीएम मोदी अगस्त 2024 में किए गए उस वादे पर कायम रहेंगे, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति जेलेंस्की को भरोसा दिलाया था कि भारत युद्ध को समाप्त कराने में सक्रिय भूमिका निभाएगा। अखबार ने याद दिलाया कि UN में रूस के खिलाफ कई प्रस्तावों पर भारत ने तटस्थ रुख अपनाया और मतदान से दूरी बनाई।

अमेरिका के ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने पुतिन का मोदी द्वारा किया गया एयरपोर्ट रिसेप्शन दोनों नेताओं की करीबी को दर्शाने वाला बताया है। अखबार ने यह भी लिखा कि दोनों नेता भारत-रूस सालाना समिट में रक्षा सौदों, व्यापार बढ़ाने और भारतीय कामगारों के रूस भेजने जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, यह यात्रा पुतिन के लिए यह दिखाने का मौका भी है कि उनके पास अब भी मजबूत ग्लोबल पार्टनर्स मौजूद हैं, जबकि भारत के लिए यह संतुलन साधने का समय है। एक तरफ रूस उसका सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है और दूसरी तरफ अमेरिका सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर।
पाकिस्तान के ‘द डॉन’ अखबार ने इस यात्रा को व्यापार और रक्षा सहयोग पर केंद्रित बताया है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि रूस भारत को S-400 की अतिरिक्त सप्लाई और Su-57 फाइटर जेट की जॉइंट प्रोडक्शन की पेशकश कर सकता है। डॉन के अनुसार, भारत रूसी तेल से बड़ी बचत करता है, लेकिन हाल के महीनों में अमेरिका की कड़ी पाबंदियों के कारण तेल आयात में कमी आई है। भारत को चिंता है कि रूस के साथ कोई बड़ी डील होने से अमेरिका नाराज हो सकता है, जिससे व्यापार वार्ता प्रभावित हो सकती है।
कतर के ‘अल जजीरा’ और ब्रिटेन के ‘गार्डियन’ ने इस यात्रा को मोदी-पुतिन की पर्सनल बॉन्डिंग और दोनों देशों के अमेरिका के दबाव से न घबराने का संकेत बताया है। अल जजीरा के अनुसार, मोदी और पुतिन की मुलाकात ने साफ संदेश दिया है कि भारत पश्चिमी दबावों के आगे झुकने वाला नहीं है। वहीं, द गार्डियन ने ट्रम्प प्रशासन के बढ़े टैरिफ और बदलती जियोपॉलिटिक्स के बीच पुतिन का भारत आना बेहद अहम बताया। इसी तरह बांग्लादेश के ‘डेली स्टार’ ने दोनों नेताओं की नजदीकी और 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने के लक्ष्य पर जोर दिया।






