लखनऊ, 6 दिसंबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ की बहादुरपुर बस्ती में रहने वाले असम मूल के सफाईकर्मियों को रोहिंग्या मानते हुए नगर निगम की ओर से 15 दिनों के भीतर क्षेत्र खाली करने की हिदायत दिए जाने पर मामला राजनीतिक विवाद में बदल गया है। इसको लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग और मानवीय संवेदनाओं के विरुद्ध कदम बताया है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब नगर निगम की एक संयुक्त टीम महापौर के नेतृत्व में बहादुरपुर क्षेत्र में पहुंची और वहां रहने वाले कई परिवारों को बांग्लादेशी या रोहिंग्या होने का संदेह जताते हुए परिसर खाली करने के निर्देश दिए। हालांकि स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे पिछले लगभग 20 वर्षों से लखनऊ में सफाईकर्मी के रूप में कार्यरत हैं। उनके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, बैंक पासबुक और एनआरसी डेटा जैसे सभी पहचान प्रमाण मौजूद हैं।
आप के अयोध्या प्रांत अध्यक्ष विनय पटेल ने शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि बिना किसी जांच और सत्यापन के इतने पुराने, मेहनतकश परिवारों पर इस तरह का आरोप लगाना पूरी तरह अमानवीय और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इन नागरिकों को अचानक अपराधी की तरह पेश करना न सिर्फ अन्याय है बल्कि सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाला कदम भी है।
उन्होंने दावा किया कि हर चुनाव से पहले भाजपा सरकार द्वारा बांग्लादेशी का मुद्दा उछालना राजनीतिक ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी असम के नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि वे भारतीय नागरिक हैं। वर्षों से सरकारी दस्तावेजों के साथ काम करते आ रहे हैं।
आप के बौद्ध प्रांत अध्यक्ष इमरान लतीफ ने यह आरोप भी लगाया कि लखनऊ नगर निगम सफाई व्यवस्था में भारी निर्भरता इन श्रमिकों पर रखता है, लेकिन अब उन्हीं को संदेह के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निगम में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन लगातार बढ़ रहा है, लेकिन ध्यान भटकाने के लिए ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं।
पार्टी के अयोध्या प्रांत प्रभारी सरबजीत सिंह मक्कड़ ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया का उपयोग जिस तरह से किया जा रहा है, वह लोकतांत्रिक मूल्यों और निष्पक्ष चुनाव की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आप इस पूरे मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त को औपचारिक ज्ञापन सौंपेगी और प्रशासनिक कार्रवाई की निष्पक्ष जांच की मांग करेगी।
आप नेताओं ने स्पष्ट किया कि पार्टी इन मजदूर परिवारों के साथ खड़ी है और यदि विस्थापन की कार्रवाई वापस नहीं ली गई तो वह सड़क से सदन तक विरोध करेगी। इस विवाद के बढ़ने के बाद शहर के कई सामाजिक संगठनों ने भी प्रभावित परिवारों के पक्ष में आवाज उठाई और पारदर्शी जांच की मांग की है।






