लखनऊ, 9 दिसंबर 2025:
यूपी में वोटरलिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत लगातार गर्माती जा रही है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधार की चर्चा के दौरान योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार SIR के नाम पर पर्दे के पीछे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की तर्ज पर काम कर रही है।
यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश ने कहा कि SIR के दौरान आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जा रहा, जबकि आधार में बायोमैट्रिक सहित नागरिक की विस्तृत पहचान दर्ज रहती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आधार जैसे पूर्ण दस्तावेज को ही नहीं माना जा रहा तो यह पूरी प्रक्रिया संदिग्ध लगती है। उनके अनुसार.यह SIR नहीं, अंदर ही अंदर NRC का ही काम है।
उन्होंने सरकार द्वारा डिटेंशन सेंटर बनाए जाने पर भी सवाल उठाए। अखिलेश का कहना था कि यदि SIR में किसी का नाम छूट भी जाए तो उसके लिए डिटेंशन सेंटर की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? इससे स्पष्ट है कि सरकार SIR को बहाना बनाकर घुसपैठियों की खोज और हिरासत केंद्रों की तैयारी कर रही है।
चुनाव सुधार पर बोलते हुए अखिलेश ने लोकतंत्र में भरोसा बहाल करने को सबसे जरूरी सुधार बताया। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को हटाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग दोहराई। उनका कहना था कि देश में EVM को लेकर बड़े पैमाने पर सवाल उठते रहे हैं। यह तभी समाप्त होंगे जब पारंपरिक बैलेट पेपर की पुनर्स्थापना होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जर्मनी, जापान और अमेरिका जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देश भी बैलेट पेपर से वोटिंग कराते हैं। जर्मनी में तो EVM को असंवैधानिक माना जाता है। ऐसे में भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को भी बैलेट पेपर का सहारा लेना चाहिए।
सपा अध्यक्ष ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आयोग एक विशेष विचारधारा के लोगों का समूह बनकर रह गया है और सरकार के इशारे पर काम करता दिख रहा है। उन्होंने दावा किया कि पिछली कई शिकायतों पर आयोग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। विशेष रूप से रामपुर लोकसभा उपचुनाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मतदान वाले दिन प्रशासन और पुलिस विपक्षी वोटरों को घरों से बाहर निकालने से रोकने में जुटे थे।
उन्होंने कहा कि जब आयोग अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाने में चूक जाएगा तो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होंगी। चुनाव सुधार तभी सार्थक होंगे जब चुनाव आयोग खुद निष्पक्षता का सबूत देगा। अखिलेश ने जोर देकर कहा कि जब तक चुनाव आयोग में वास्तविक सुधार नहीं होंगे तब तक चुनावी सुधार अधूरे ही रहेंगे।






