लखनऊ, 10 दिसंबर 2025:
पूर्व IPS अफसर एवं आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को मंगलवार देर रात यूपी पुलिस की स्पेशल टीम ने नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के अनुसार अमिताभ ठाकुर लखनऊ सुपरफास्ट एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे। ट्रेन सीतापुर और शाहजहांपुर के बीच पहुंची ही थी कि सादे कपड़ों में मौजूद पुलिस टीम ने एसी कोच में अचानक प्रवेश किया और उन्हें हिरासत में लेते हुए नीचे उतार लिया। इसके बाद टीम उन्हें लेकर देवरिया रवाना हो गई, जहां उनके खिलाफ दर्ज भूमि आवंटन से जुड़े मुकदमे में पूछताछ की जानी है।
कुछ समय पहले उनके विरुद्ध धोखाधड़ी समेत कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि उन्होंने बतौर एसपी देवरिया जमीन आवंटन से जुड़े एक विवादित मामले में अनुचित लाभ लिया था और बाद की जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। लखनऊ में दर्ज हुए इसी मामले में गठित एसआईटी ने मंगलवार रात कार्रवाई को अंजाम दिया। केस को देवरिया ट्रांसफर कर दिया गया है।
बुधवार सुबह तक इस गिरफ्तारी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। अमिताभ ठाकुर के किडनैप होने की अफवाह उड़ने लगी। रेलवे अधिकारियों ने रात में आशंका जताई थी कि ट्रेन में मौजूद सादे कपड़ों वाले लोग पुलिसकर्मी हो सकते हैं, लेकिन आधिकारिक पुष्टि सुबह हुई जब लखनऊ पुलिस ने अमिताभ ठाकुर के परिवार को इस बारे में सूचित किया। तालकटोरा पुलिस ने फोन कर उनकी पत्नी नूतन ठाकुर को गिरफ्तारी की जानकारी दी, जिसके बाद यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई।

लखनऊ के पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि देवरिया के एसपी रहते हुए अमिताभ ठाकुर पर एक विवादित भूमि लेने का आरोप है। जांच में कई बिंदु सामने आए, जिसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले की छानबीन के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की गई थी। उस टीम ने उन्हें हिरासत में लिया।
मालूम हो कि अमिताभ ठाकुर लंबे समय से भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं पर मुखर रहे हैं। कई मौकों पर उन्होंने प्रदेश सरकार सहित उच्च स्तर पर सवाल उठाए, जिसके चलते वे लगातार सुर्खियों में रहे। हाल ही में उन्होंने बनारस में कोडीनयुक्त सीरप तस्करी से जुड़े एक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति पर सवाल उठाए थे। इसके बाद चौक थाने में उनके और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कानपुर के अधिवक्ता अखिलेश दुबे की संपत्तियों और उनके कथित अवैध निर्माण की गहन जांच की मांग की थी। उन्होंने मंडलायुक्त कार्यालय के एक कर्मचारी पर भी पक्षपात का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सरकारी भूमि पर कब्जे और उससे हुई कमाई की जांच कर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
1992 बैच के आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अपने करियर में कई जिलों के कप्तान के रूप में सेवाएं दीं। 2021 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। गृह विभाग ने उन्हें सेवा के लिए अनुपयुक्त पाया था।
मंगलवार रात की गिरफ्तारी ने फिर एक बार अमिताभ ठाकुर को राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा के केंद्र में ला दिया है। आगामी दिनों में देवरिया मामले की पूछताछ से इस प्रकरण को लेकर महत्वपूर्ण बातें सामने आने की संभावना है।






