नई दिल्ली, 11 दिसंबर 2025 :
पूरे देश में इंडिगो की उड़ानों को बड़ी संख्या में रद्द किए जाने और उनमें देरी होने की वजह से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस घटना ने विमानन क्षेत्र में कई सवाल खड़े कर दिए, जिसके बाद सरकार ने उड़ानों में तकनीकी गड़बड़ियों की निगरानी प्रणाली को पूरी तरह नया रूप देने का निर्णय लिया है। अब उड़ानों की देरी, गड़बड़ी और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर पहले से कहीं अधिक कड़ाई बरती जाएगी।
केंद्र सरकार द्वारा जारी 12 पेज के नए आदेश में कहा गया है कि अब किसी भी निर्धारित उड़ान में तकनीकी कारणों से 15 मिनट या उससे ज्यादा की देरी होने पर उसकी जांच अनिवार्य होगी। एयरलाइन कंपनी को यह बताना होगा कि देरी का कारण क्या था और उसे कैसे दूर किया गया। पहले ऐसे प्रावधान नहीं थे, लेकिन हाल की घटनाओं को देखते हुए इन नियमों को जरूरत के हिसाब से और सख्त किया गया है।
नए निर्देशों के अनुसार, यदि किसी उड़ान में मेजर डिफेक्ट मिलता है, तो एयरलाइन को तुरंत फोन पर डीजीसीए को इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही, उस डिफेक्ट की विस्तृत रिपोर्ट 72 घंटे के भीतर अधिकारियों के पास जमा करना अनिवार्य होगा। रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि भविष्य में वही गलती दोबारा न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी डिफेक्ट के तीन बार दोहराए जाने पर उसे ‘रिपीटेटिव डिफेक्ट’ माना जाएगा। ऐसी स्थिति में उस गड़बड़ी पर अलग से खास और गहरी जांच शुरू की जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एयरलाइनें सिर्फ तात्कालिक समाधान न निकालें, बल्कि समस्या को जड़ से हल करें।
माना जा रहा है कि डीजीसीए ने यह कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि पिछले दिनों मिले कई मामले बता रहे थे कि तकनीकी खामियों की रिपोर्टिंग व्यवस्था पहले की तुलना में काफी कमजोर हो चुकी थी। 15 मिनट की देरी की अनिवार्य जांच जैसी व्यवस्था पहले नहीं थी। अब इन नए नियमों के लागू होने के बाद उड़ानों की सुरक्षा और समयबद्धता दोनों पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है।





