लखनऊ, 22 दिसंबर 2025:
UP विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोडीनयुक्त कफ सिरप तस्करी प्रकरण को लेकर समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला। विधानसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे रैकेट के तार समाजवादी पार्टी के लोगों से जुड़े हुए हैं। सरकार के पास इसके पुख्ता सबूत मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि इस मामले का कथित किंग पिन एसटीएफ का बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह है। वह पक्का सपाई रहा है। उन्होंने फोटो दिखाते हुए कहा कि एक अन्य आरोपी अमित यादव की तस्वीर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ है। अमित यादव सपा की युवजन सभा से जुड़ा रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सहारनपुर के विभोर राणा को फार्मा लाइसेंस सपा के दौरान जारी किया गया था जबकि आलोक सिंह को उनकी सरकार ने सेवा से बर्खास्त किया।

सीएम योगी ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है। एनडीपीएस एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है। अब तक 332 फर्मों पर छापेमारी की जा चुकी है। 136 फर्मों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। 77 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है और किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी पुलिस की कार्रवाई में यह भी सामने आया है कि कोडीनयुक्त कफ सिरप मामले का एक अन्य प्रमुख आरोपी शुभम जायसवाल समाजवादी पार्टी से जुड़ा रहा है। शुभम जायसवाल और अमित यादव व्यापारिक साझेदार हैं। मिलिंद यादव इस गठजोड़ में शामिल है। वह शुभम जायसवाल का करीबी बताया गया है। मिलिंद यादव के फोन नंबर शैली ट्रेडर्स के जीएसटी रजिस्ट्रेशन में दर्ज पाए गए हैं। इसके अलावा अमित यादव और मिलिंद यादव के खातों से शैली ट्रेडर्स के खाते में संदिग्ध और गलत तरीके से लेनदेन के सबूत भी मिले हैं।

सीएम योगी ने बताया कि इस अवैध नेटवर्क में मनोज यादव, राजीव यादव और मुकेश यादव की संलिप्तता के भी प्रमाण मिले हैं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि अमित यादव ने वर्ष 2024 में दुबई की यात्रा की थी जिसकी जांच की जा रही है। विपक्ष के हंगामे पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब समाजवादी पार्टी से जुड़े आरोपियों पर कार्रवाई होती है तो सपा के लोग ही सबसे पहले शोर मचाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि सरकार कितनी सख्ती से कार्रवाई करती है।
सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश में न तो कोडीनयुक्त कफ सिरप का उत्पादन होता है और न ही इसके उपयोग से प्रदेश में किसी की मौत हुई है। यह पूरा मामला दवाओं के अवैध डायवर्जन, ट्रेडिंग और स्टोरेज से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के अनुसार जिन राज्यों में कफ सिरप से मौतें हुई हैं उनका उत्पादन तमिलनाडु में हुआ है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में एफएसडीए विभाग ने 1000 से अधिक कफ सिरप के नमूनों की जांच की है।
मुख्यमंत्री ने वाराणसी, सहारनपुर, गाजियाबाद और लखनऊ से जुड़े प्रमुख अभियुक्तों के नाम सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि प्रदेश की जनता अच्छी तरह जानती है कि माफिया और अपराधियों के संबंध किससे रहे हैं। सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई जारी रखेगी।






