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AQI पर टकराव, सेहत की चिंता : UP विधानसभा में प्रदूषण को लेकर सियासी घमासान

सपा विधायक डॉ. आरके वर्मा व अन्य सदस्यों ने सदन में उठाया प्रदूषण का मुद्दा, पूछा समाधान का उपाय, सरकार ने साझा की रोकथाम की रणनीति, पर्यावरण मंत्री ने पड़ोसी राज्यों को भी ठहराया जिम्मेदार

लखनऊ, 24 दिसंबर 2025:

यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को विधानसभा में प्रदूषण का मुद्दा गूंजा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वायु व जल प्रदूषण को लेकर न केवल गंभीर चिंता व्यक्त की गई बल्कि AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) के आंकड़ों पर नोकझोंक भी देखने को मिली।

सपा के वरिष्ठ नेता एवं विधायक डॉ. आरके वर्मा ने सदन में प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए सरकार से पूछा कि इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम क्या उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार बढ़ रहा है। इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। डॉ. वर्मा ने दावा किया कि प्रदेश के हर जिले में AQI 100 के ऊपर पहुंच चुका है। कानपुर में यह 400 के पार चला गया है।

इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कानपुर का AQI 100 के पार नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं जांच की और कानपुर का AQI 149 है। उन्होंने सवाल किया कि पूरे प्रदेश का AQI एक जैसा कैसे हो सकता है।

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इसके बाद डॉ. वर्मा ने प्रयागराज का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां AQI 432 तक पहुंच चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रदूषण सीधे दिमाग और शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। पटाखों पर नियंत्रण की जरूरत बताते हुए उन्होंने इसे प्रकृति के साथ खिलवाड़ करार दिया।

सपा विधायक कमाल अख्तर ने भी चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि बढ़ता वायु प्रदूषण मानव जीवन पर घातक प्रभाव डाल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदूषण के कारण प्रदेश में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। अख्तर ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसका काम केवल एनओसी जारी करने तक सीमित रह गया है। उन्होंने बच्चों और महिलाओं में लीवर खराब होने तथा पेट संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों को प्रदूषित जल का परिणाम बताया।

पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने जवाब में कहा कि प्रदूषण कम करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की है। उन्होंने ऊर्जा बचत, सीमित एसी उपयोग और निजी वाहनों के कम इस्तेमाल की अपील की। मंत्री ने बताया कि बीएस-6 मानक लागू किए गए हैं। इलेक्ट्रिक बाइक और बसों को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहरों में भारी वाहनों की एंट्री रोकी जा रही है। धूल नियंत्रण के लिए मैकेनिकल क्लीनिंग की जा रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि एनसीआर और 17 बड़े शहरों में स्थिति चिंताजनक है। इसका असर पड़ोसी राज्यों की वजह से भी है।

इससे पहले सपा विधायक इंजीनियर बृजेश कटेरिया ने नदियों की सफाई और जल जीवन मिशन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गंगा और यमुना जैसी नदियां आज भी प्रदूषण से कराह रही हैं। जल जीवन मिशन के तहत भारी बजट पास होने के बावजूद आधा काम भी पूरा नहीं हो सका, जिससे ग्रामीणों को प्रदूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है।

उन्होंने औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ की गई कार्रवाई का जिलेवार विवरण भी मांगा। विधानसभा में हुई यह बहस प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण और उससे जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों पर गंभीर मंथन का संकेत मानी जा रही है।

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