अयोध्या, 25 दिसंबर 2025:
भारत और दक्षिण कोरिया के बीच दो हजार साल पुराने ऐतिहासिक रिश्तों को जीवंत करने के मकसद से अयोध्या एक खास पल की साक्षी बनी। यहां सरयू नदी के किनारे स्थित ‘महारानी हो’ (क्वीन हो) मेमोरियल पार्क में महारानी हो की दस फिट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में अयोध्या के महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने प्रतिमा से पर्दा हटाया।
इतिहास बताता है कि करीब 2000 वर्ष पहले अयोध्या की राजकुमारी ‘सूरी रत्ना’ दक्षिण कोरिया गई थीं, जहां उनका विवाह राजा किम सोरो से हुआ था। इसी विवाह के बाद वहां कारक राजवंश की स्थापना हुई, जिसका प्रभाव आज भी कोरिया के समाज और संस्कृति में देखा जाता है। कोरिया में सूरी रत्ना को ही महारानी हो के नाम से जाना जाता है।

इसी ऐतिहासिक रिश्ते की याद में अयोध्या में वर्ष 1999 में महारानी हो मेमोरियल पार्क की स्थापना की गई थी। समय के साथ इस पार्क को विकसित किया गया और आज यह अयोध्या के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में गिना जाता है। इसी पार्क में अब महारानी हो की दस फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। रॉक स्टोन मटेरियल से निर्मित यह प्रतिमा अत्यंत आकर्षक ढंग से डिजाइन की गई है। इसका निर्माण कोरिया के कुशल कारीगरों की ओर से किया गया है और इसे अयोध्या तक पहुंचाने में लगभग 20 दिन का समय लगा। कार्यक्रम में कोरियाई प्रतिनिधिमंडल किसी कारणवश शामिल नहीं हो सका, लेकिन पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार प्रतिमा का अनावरण किया गया।

महापौर के पार्क पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया और बड़ी संख्या में मौजूद लोगों की उपस्थिति में यह आयोजन संपन्न हुआ। इस मौके पर महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच केवल कूटनीतिक ही नहीं, बल्कि गहरे भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध हैं। महारानी हो की प्रतिमा की स्थापना से इन रिश्तों को नया आयाम मिला है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या अपनी बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पहचान के साथ भविष्य में भी ऐसे सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की भूमिका निभाती रहेगी। सरयू तट पर स्थित यह मेमोरियल पार्क अब भारत-कोरिया की मित्रता और साझा इतिहास का एक अहम प्रतीक बनकर उभरा है।






