लखनऊ, 26 दिसंबर 2025 :
आज से ठीक 21 साल पहले, 26 दिसंबर 2004 को दुनिया ने प्रकृति का वह रूप देखा, जिसे आज भी याद कर रूह कांप जाती है। हिंद महासागर में आए भीषण भूकंप के बाद उठी सुनामी ने भारत समेत 14 देशों में ऐसी तबाही मचाई, जिसने करीब ढाई लाख जिंदगियां छीन लीं। यह आपदा न सिर्फ इतिहास की सबसे घातक सुनामी बनी, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक कड़वी चेतावनी भी साबित हुई।
पहले कांपी धरती, फिर उठा समंदर
इस महाविनाश की शुरुआत समुद्र के भीतर हुए एक बेहद शक्तिशाली भूकंप से हुई। भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पास था और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 9.1 से 9.3 मापी गई। झटकों के बाद समुद्र में विशाल लहरें उठीं, जो 500 से 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तटों की ओर बढ़ीं। कई जगह इन लहरों की ऊंचाई 30 मीटर तक पहुंच गई, जिसने देखते ही देखते पूरे तटीय इलाकों को तबाह कर दिया।
भारत पर भी टूटा सुनामी का कहर
भारत इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुआ। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी तबाही मची। तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले और अंडमान में हजारों लोगों की जान चली गई। समुद्र का पानी अचानक शहरों और गांवों में घुस आया, जिससे घर, नावें और मछुआरों की आजीविका पूरी तरह नष्ट हो गई। चेन्नई और पुड्डुचेरी जैसे इलाकों में भी भारी नुकसान दर्ज किया गया।
किन देशों में सबसे ज्यादा हुआ नुकसान?
इस सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश इंडोनेशिया रहा, जहां आचे प्रांत में करीब 1.70 लाख लोगों की मौत हुई और लाखों लोग बेघर हो गए। श्रीलंका में 35 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई और कई गांव पूरी तरह मिट गए। थाईलैंड में तटीय पर्यटन स्थलों पर हजारों विदेशी पर्यटकों सहित 8 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। मालदीव का बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया, जबकि भारत में मृतकों की संख्या 10 हजार से ज्यादा रही।
इतनी मौतों की बड़ी वजह क्या थी?
इस त्रासदी में जानमाल के भारी नुकसान के पीछे कई कारण रहे। भूकंप का केंद्र समुद्र के नीचे होना सबसे बड़ा कारण बना, जिससे विशाल सुनामी लहरें पैदा हुईं। उस समय हिंद महासागर क्षेत्र में कोई प्रभावी सुनामी चेतावनी प्रणाली मौजूद नहीं थी, जिससे लोगों को समय पर खतरे की जानकारी नहीं मिल सकी। घनी आबादी वाले तटीय इलाकों में रहने वाले लोग खतरे के संकेतों को भी समझ नहीं पाए, जैसे समुद्र का पानी अचानक पीछे हटना।
त्रासदी के बाद बदली दुनिया की तैयारी
2004 की इस भयावह सुनामी के बाद दुनिया ने सबक लिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंद महासागर सुनामी चेतावनी प्रणाली विकसित की गई। भारत सहित कई देशों ने आपदा प्रबंधन ढांचे को मजबूत किया और तटीय इलाकों में जागरूकता अभियान चलाए गए। राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में पूरी दुनिया एकजुट हुई। आज, 20 साल बाद भी यह त्रासदी हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के सामने मानव कितना छोटा है, लेकिन सही तैयारी से नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है।






