लखनऊ, 27 दिसंबर 2025:
यूपी के प्रयागराज में संगम की लहरों पर एक बार फिर आस्था, तकनीक और अनुशासन का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने माघ मेला-2026 की तैयारियों की समीक्षा करते हुए स्पष्ट किया कि इस बार का आयोजन ‘सुविधा और सुरक्षा’ के नए वैश्विक मानक स्थापित करेगा।
मुख्यमंत्री ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए गृह विभाग को कड़े निर्देश दिए हैं कि प्रमुख स्नान पर्वों पर किसी भी प्रकार का वीआईपी प्रोटोकॉल लागू नहीं किया जाएगा। महाकुंभ के सफल अनुभव को आधार बनाते हुए सरकार ने तय किया है कि आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा ही सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। सीएम ने स्पष्ट कहा कि स्नान पर्वों पर किसी भी स्तर पर अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

3 जनवरी से 15 फरवरी 2026 तक चलने वाले इस 44 दिवसीय मेले में 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। अकेले मौनी अमावस्या (18 जनवरी) के दिन लगभग साढ़े तीन करोड़ लोगों के स्नान की संभावना है।
श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए मेला क्षेत्र को बढ़ाकर 800 हेक्टेयर कर दिया गया है। स्नान घाटों की कुल लंबाई में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। 42 पार्किंग स्थल, 9 पांटून पुल और 16,650 शौचालयों (महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था) का निर्माण अंतिम चरण में है।
माघ मेला आधुनिक तकनीक का सजीव उदाहरण बनेगा। मेला क्षेत्र में एआई (AI) आधारित सर्विलांस और क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिसे 450 सीसीटीवी कैमरों से नियंत्रित किया जाएगा। पहली बार विद्युत पोलों पर क्यूआर कोड आधारित पहचान प्रणाली और ऐप आधारित बाइक टैक्सी सेवा शुरू की जा रही है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशिक्षित पुलिस बल के साथ-साथ एनएसएस और एनसीसी कैडेट्स भी व्यवस्थाओं में हाथ बटाएंगे।
मुख्यमंत्री ने माघ मेले को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त और ‘जीरो लिक्विड डिस्चार्ज’ बनाने का संकल्प लिया है। 3,300 सफाई मित्रों की 24 घंटे तैनाती होगी और स्वच्छताकर्मियों के मानदेय का भुगतान 15 दिनों के भीतर करने के निर्देश दिए गए हैं। अध्यात्म के साथ-साथ इस बार पर्यटन विभाग लोकनृत्य, रामलीला और दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनियों के माध्यम से उत्तर प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का दर्शन कराएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को 31 दिसंबर तक सभी तैयारियां पूरी करने का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि माघ मेला केवल एक आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और सनातन परंपरा का जीवंत संदेश है।






