देहरादून, 27 दिसंबर 2025:
उत्तराखंड की विकास यात्रा को सुरों की भाषा में पिरोते हुए राज्य में पहली बार एक सरकारी विकास गीत का विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को अपने सरकारी आवास में उत्तराखंडी लोकधुन पर आधारित गीत ‘पैली-पैली बार’ का विमोचन किया। इसे प्रदेश की नई पहचान तथा उपलब्धियों की संगीतमयी प्रस्तुति बताया।
कार्यक्रम में उपस्थित लोक कलाकारों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गीत एक सांस्कृतिक दस्तावेज के साथ उत्तराखंड के बदलते स्वरूप और ऐतिहासिक फैसलों की जीवंत झलक भी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्णय आज अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बन रहे हैं। ऐसी पहल समाज में जागरूकता बढ़ाने के साथ पहाड़ी संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने में मददगार होगी।
सीएम धामी ने जोर देकर कहा कि उत्तराखंड लगातार विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और चुनौतियों के बावजूद राज्य ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्टार्टअप इकोसिस्टम, कृषि, बागवानी, पर्यटन और रिवर्स पलायन जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है। उनके अनुसार, ऐतिहासिक फैसलों और योजनाओं के जरिये आम जन को सुगमता और विश्वास मिला है। इससे विकास का दायरा गांव-गांव तक फैल रहा है।

‘पैली-पैली बार’ गीत में राज्य में पहली बार लागू या शुरु की गई ऐतिहासिक पहलें केंद्र में रखी गई हैं। इनमें नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून, यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के प्रयास, सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाना, शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा, आदि कैलाश यात्रा, रिवर्स पलायन परियोजनाएं, किसानों के हित में लिए गए फैसले, राजस्व वृद्धि की रणनीतियां और सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता शामिल हैं। गीत इन उपलब्धियों को सरल भाषा में प्रस्तुत करके जन जन की सरकार, जन जन के द्वार अभियान की मूल भावना को आगे बढ़ाता है।
इस गीत को स्वर देने वाले कलाकारों में सौरभ मैठाणी, गोविंद दिगारी, राकेश खनवाल, ललित गित्यार, भूपेंद्र बसेड़ा, मनोज सामंत, चंद्रप्रकाश, खुशी जोशी और सोनम शामिल हैं। धुन और बोल का श्रेय भूपेंद्र बसेड़ा को जाता है। संगीत संयोजन ललित गित्यार ने किया है। अपनी मधुर लोकधुन और प्रभावी शब्दों के कारण यह गीत सुनने में आकर्षक होने के साथ-साथ विकास के संदेश को भी सरलता से जन-जन तक पहुंचाता है।
कार्यक्रम में कई लोक कलाकारों, जनप्रतिनिधियों और संस्कृति से जुड़े व्यक्तियों की उपस्थिति रही। आयोजन के साथ यह उम्मीद भी जताई गई कि ‘पैली-पैली बार’ उत्तराखंड की विकास यात्रा को लोकगीतों के माध्यम से ऐतिहासिक पहचान दिलाने वाला मील का पत्थर साबित होगा।






