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अयोध्या: आस्था से निकला विकास का रास्ता… अर्थव्यवस्था को मिली उड़ान

रामलला प्राण प्रतिष्ठा के दो साल में बदली अयोध्या की तस्वीर, विकास और विरासत के संगम से पर्यटन बढ़ा, युवाओं को मिला रोजगार, एयरपोर्ट से करीब आठ लाख यात्रियों ने किया सफर

लखनऊ, 30 दिसंबर 2025:

अयोध्या अब सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं रही, बल्कि विकास और विरासत के संतुलन का बड़ा उदाहरण बन चुकी है। श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को दो वर्ष पूरे होने के साथ ही अयोध्या ने यह साबित कर दिया है कि आस्था आर्थिक मजबूती की राह भी बन सकती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या का तेजी से कायाकल्प हुआ है, जिससे शहर की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हुई है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अयोध्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। जनवरी से जून के बीच करीब 23 करोड़ से अधिक लोग रामनगरी पहुंचे। शहर में करीब 85 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं चल रही हैं, जिनका सीधा असर पर्यटन, व्यापार और रोजगार पर दिख रहा है। सरकार का फोकस यह रहा कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित, व्यवस्थित और सम्मानजनक अनुभव मिले।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से बदली पहचान

अयोध्या को आधुनिक तीर्थ और पर्यटन शहर के रूप में विकसित किया गया है। चौड़ी सड़कें, रामपथ, भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ, आधुनिक रेलवे स्टेशन और महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ने शहर की तस्वीर बदल दी है। ये सुविधाएं केवल आवागमन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि स्थानीय कारोबार और रोजगार को भी नई रफ्तार दे रही हैं। महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के संचालन को दो वर्ष पूरे हो चुके हैं।

देश के प्रमुख शहरों के लिए संचालित हो रहीं 22 उड़ानें

30 दिसंबर 2023 को शुरू हुए इस एयरपोर्ट से अब तक करीब 7 लाख 85 हजार से ज्यादा यात्रियों ने सफर किया है। फिलहाल यहां से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद सहित प्रमुख शहरों के लिए 22 उड़ानों का संचालन हो रहा है। एयरपोर्ट पर पार्किंग, प्रीपेड टैक्सी, फूड कोर्ट, लाउंज, फ्री वाई फाई और कैब सेवाएं जैसी सुविधाएं यात्रियों को उपलब्ध हैं। एयरपोर्ट की सालाना क्षमता 10 लाख यात्रियों की है और आने वाले समय में इसके विस्तार की तैयारी चल रही है, जिससे भविष्य में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की राह खुलेगी।

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पर्यटन बना विकास की रीढ़, होम स्टे से जुड़े 19 गांव

अयोध्या अब उत्तर प्रदेश के पर्यटन मानचित्र का केंद्र बन चुकी है। धार्मिक पर्यटन के साथ साथ सांस्कृतिक और विरासत पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है। होटल, होम स्टे, गाइड, हस्तशिल्प और स्थानीय कारोबार में तेजी आई है। अयोध्या मंडल के 19 गांवों को होम स्टे विकास के लिए चुना गया है। जिले में 1100 से अधिक होम स्टे पंजीकृत हो चुके हैं, जिससे पर्यटकों को किफायती ठहरने की सुविधा मिल रही है।

कारोबारियों की आमदनी बढ़ी, युवाओं को अयोध्या में ही मिला रोजगार

इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ युवाओं को मिला है। टूरिज्म, एविएशन, ट्रांसपोर्ट, होटल, सुरक्षा और सेवा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर बने हैं। जहां पहले लोग रोजगार के लिए बाहर जाते थे, अब अयोध्या खुद रोजगार का केंद्र बन रही है। स्थानीय दुकानदारों और कारोबारियों की आमदनी कई गुना बढ़ी है। निजी कंपनियों में काम कर रहे युवाओं को अच्छी सैलरी मिल रही है। फिलहाल दो वर्षों में अयोध्या ने यह दिखा दिया है कि जब नेतृत्व मजबूत हो और सोच साफ हो, तो आस्था भी विकास का रास्ता बनती है। आज अयोध्या केवल इतिहास की नगरी नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करती एक नई पहचान बन चुकी है।

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