लखनऊ, 30 दिसंबर 2025:
यूपी में कोडीनयुक्त कफ सिरप की तस्करी और फर्जीवाड़ा कांड के खुलासे के बाद सरकार दवाओं की थोक बिक्री प्रणाली को पूरी तरह हाईटेक बनाने की तैयारी में जुट गई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने नए नियमों का प्रस्ताव तैयार किया है। प्रदेश शासन को भेजे गए प्रस्ताव में लाइसेंसिंग से लेकर खरीद-फरोख्त और स्टॉक की निगरानी तक के प्रावधान पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी और कठोर होंगे।
नए प्रस्ताव के तहत प्रदेश के सभी थोक दवा प्रतिष्ठानों की जियो टैगिंग अनिवार्य की जाएगी। इसके अलावा हर प्रतिष्ठान को अपनी गोदाम क्षमता, खरीद-बिक्री की स्थिति, स्टॉक की उपलब्धता और लेनदेन का रिकॉर्ड फोटो और वीडियो के माध्यम से सुरक्षित रखना होगा। यह डेटा निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को उपलब्ध कराना होगा। इस व्यवस्था से कागजों पर आधारित फर्जी फर्मों के खेल पर अंकुश लगाने की उम्मीद है। Codeine Cough Syrup Scam

सीएम योगी ने इस कांड के बाद स्पष्ट निर्देश दिया था कि लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और तस्करी रोधी बनाया जाए। इसी क्रम में नई व्यवस्था में दवा प्रतिष्ठानों में नियुक्त टेक्निकल पर्सन के अनुभव और योग्यता के सत्यापन को भी ड्रग इंस्पेक्टरों की जिम्मेदारी में शामिल किया गया है। केंद्र सरकार से भी उम्मीद की जा रही है कि वह कोडीनयुक्त कफ सिरप की थोक आपूर्ति और वितरण पर राष्ट्रीय स्तर के दिशा-निर्देश जारी करे जिससे निगरानी तंत्र और मजबूत हो सके।
कांड की जांच में सामने आया कि कई फर्मों ने विक्रय बिल तक प्रस्तुत नहीं किए जबकि रिकॉर्ड में भारी मात्रा में सप्लाई दिखाई गई। कई ऐसी फर्में मिलीं जो कागजों पर ही अस्तित्व में थीं। इनके माध्यम से करोड़ों रुपये की अवैध आपूर्ति दिखाई गई। जांच में किसी भी फुटकर दवा दुकान तक इस सिरप की वैध आपूर्ति का ठोस सबूत नहीं मिला। वर्ष 2024-25 में प्रदेश में वास्तविक चिकित्सीय जरूरत से कई गुना अधिक सिरप की आपूर्ति दर्शाई गई थी जिससे फर्जीवाड़े का पूरा जाल खुलकर सामने आया। https://thehohalla.com/fsda-breaks-illegal-supply-chain-of-codeine-cough-syrup/
अब तक की कार्रवाई में प्रदेश के 36 जिलों में अवैध बिक्री की पुष्टि होने के साथ 161 फर्मों पर केस दर्ज हुए। 85 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। जांच में लगभग 700 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध सप्लाई का पता चला है। अधिकारियों के अनुसार जांच आगे बढ़ने के साथ तस्करी सिंडीकेट का दायरा और बड़ा होता जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि नए नियम लागू होने के बाद यूपी में नशीली दवाओं की तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण होगा और दवा कारोबार में पारदर्शिता बढ़ेगी।






