
नई दिल्ली, 17 मार्च 2025
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गब्बार्ड के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और शीर्ष वैश्विक खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की, जिसमें आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और सुश्री गबार्ड ने आमने-सामने की बैठक में मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने को मजबूत करने और भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के साथ सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।
गबार्ड रविवार तड़के ढाई दिन की यात्रा पर राष्ट्रीय राजधानी पहुंचीं। यह डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के किसी शीर्ष अधिकारी की भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। डोभाल-गबार्ड बैठक के बारे में शीर्ष सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि यह “अच्छी चर्चा” थी।
अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक, कनाडाई खुफिया प्रमुख डैनियल रोजर्स और ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल उन शीर्ष वैश्विक खुफिया अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने यहां भारत द्वारा आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में भाग लिया।
विचार-विमर्श बंद दरवाजों के पीछे हुआ और इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। हालांकि, यह पता चला है कि शीर्ष खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों ने आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने और सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया।
मामले से परिचित लोगों ने बताया कि बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन से निपटने में सहयोग तथा प्रत्यर्पण और आव्रजन से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने बताया कि भारतीय पक्ष ने खालिस्तान समर्थक तत्वों सहित विदेशी धरती से सक्रिय भारत विरोधी तत्वों के बारे में भी अपनी चिंताएं जताईं। ऐसा समझा जाता है कि आस्ट्रेलिया, जर्मनी, न्यूजीलैंड तथा भारत के कई अन्य मित्र देशों के खुफिया प्रमुख इस सम्मेलन में शामिल हुए थे।
गबार्ड जापान, थाईलैंड और फ्रांस की बहु-देशीय यात्रा के भाग के रूप में भारत की यात्रा पर हैं। अमेरिकी खुफिया प्रमुख मंगलवार को रायसीना डायलॉग को भी संबोधित करेंगे। पिछले महीने गबार्ड ने वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। ऐसा समझा जाता है कि खुफिया प्रमुखों ने अपने विचार-विमर्श में रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में संघर्ष के प्रभावों सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआईएस) के प्रमुख रोजर्स की भारत यात्रा, हरदीप सिंह निज्जर मामले को लेकर दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच हुई है। सितंबर 2023 में तत्कालीन कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडाई धरती पर निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे।
नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को “बेतुका” बताकर खारिज कर दिया। पिछले साल की दूसरी छमाही में दोनों देशों के बीच संबंध और भी खराब हो गए, जब ओटावा ने निज्जर की हत्या में उच्चायुक्त संजय वर्मा सहित कई भारतीय राजनयिकों को शामिल किया। पिछले अक्टूबर में कनाडा ने वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। जवाबी कार्रवाई में नई दिल्ली ने भी कनाडा के प्रभारी स्टीवर्ट व्हीलर और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। उम्मीद है कि रोजर्स के साथ डोभाल की बातचीत में इस मामले पर भी चर्चा हो सकती है।
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक का पदभार संभालने के बाद गबार्ड की यह दूसरी विदेश यात्रा है। अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा के दौरान, गबार्ड पिछले महीने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी गई थीं।






