प्रयागराज, 17 मार्च 2025:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में हुई भगदड़ और अन्य गड़बड़ियों की सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब पहले से ही एक जांच आयोग मामले की जांच कर रहा है, तो सीबीआई जांच की आवश्यकता क्यों है? इसका स्पष्ट उल्लेख याचिका में नहीं किया गया।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने केशर सिंह, योगेंद्र कुमार पांडेय और कमलेश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में महाकुंभ में हुई अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। साथ ही, भगदड़ में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने और पूरे महाकुंभ मेले की सीबीआई जांच कराने की अपील की गई थी।
याचियों के आरोप और सरकारी पक्ष की दलीलें
याचियों के वकील ने दलील दी कि महाकुंभ के दौरान प्रशासन अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में पूरी तरह विफल रहा। स्नान घाटों पर पानी की गुणवत्ता खराब थी, पांटून पुलों में कई बंद थे, भीड़ प्रबंधन ठीक से नहीं किया गया, और कुप्रबंधन के कारण श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ी। वहीं, सरकारी वकील ने तर्क दिया कि मामले की जांच पहले से ही एक आयोग कर रहा है। ऐसे में समानांतर जांच से आयोग की कार्यवाही बाधित होगी।
कोर्ट की ये टिप्पणी
न्यायालय ने सुनवाई के बाद याचिका को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि महाकुंभ के 45 दिनों के दौरान यदि याचियों को श्रद्धालुओं की परेशानियों की चिंता थी, तो उन्हें अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। चूंकि याचिका केवल समाचार पत्रों में छपी खबरों के आधार पर दायर की गई थी और इसमें कोई ठोस तथ्य नहीं थे, इसलिए इसे खारिज किया गया।