Uttar Pradesh

आगरा में नकली दवा कारोबार के मामले में एक और केस दर्ज…चाचा-भतीजे समेत 3 गिरफ्तार

मयंक चावला

आगरा, 31 अगस्त 2025 :

यूपी के आगरा जिले में भारी पैमाने पर हो रहे नकली दवा के कारोबार के मामले में धरपकड़ व जांच पड़ताल कर रही टीम ने एक और एफआईआर दर्ज कराई जाए। इस नए केस में आरोपी बंसल मेडिकल फर्म के मालिक संजय बंसल उसके भाई मुकेश व भतीजे सोहित को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही आज खाद्य एवं औषधि विभाग की अपर आयुक्त रेखा एस चौहान ने मीडिया से मुखातिब होकर अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा दिया।

बता दें कि एसटीएफ और औषधि विभाग की टीम ने गत 22 अगस्त को मोती कटरा में हे मां मेडिको पर छापा मारा था। टीमों ने 80 लाख रुपये की नकली दवाओं से भरे टेंपो को भी पकड़ा था। टेंपो चालक आकिर ने ही बताया था कि वह दवाओं को मां मेडिको के मालिक हिमांशु अग्रवाल के गोदाम पर मोती कटरा लेकर जा रहा था। इसके बाद से ही लगातार टीमें नकली दवा के कारोबार की जड़ें खोदने में लगी थीं। टीम ने करोड़ो की कीमत की नकली दवाएं बरामद कर दवा व्यापारी हिमांशु अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। हिमांशु ने एसटीएफ को एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की थी। उसे एक करोड़ रुपये के साथ गिरफ्तार किया था।

एसटीएफ, पुलिस और औषधि विभाग की जांच में नकली दवाओं के मामले में बंसल मेडिकल के संजय बंसल उसके दवा व्यापारी भाई मुकेश बंसल और भतीजे सोहित का नाम भी सामने आया था। पुलिस ने रविवार को इन्हें गिरफ्तार कर लिया। कोतवाली थाने में औषधि निरीक्षक कपिल शर्मा की ओर से बंसल मेडिकल के संजय बंसल, उसके भाई मुकेश बंसल व भतीजे सोहित बंसल के विरुद्ध नकली दवाओं के मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

इधर अपर आयुक्त, खाद्य एवं औषधि विभाग की अपर आयुक्त रेखा एस चौहान ने मीडिया से मुखातिब होकर बताया कि दवा माफिया गैंग बनाकर इस काम को अंजाम देते थे। चेन्नई, पांडिचेरी और तमिलनाडु से नकली दवाई बनाकर आगरा समेत लखनऊ, बरेली, कानपुर, मुजफ्फर नगर और अलीगढ़ में भेजी जाती थी। आगरा में हेमा मेडिको के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई के दौरान लगभग 60 करोड़ की दवाइयां सीज की गई है। जबकि राधे मेडिकल के गोदाम से 10 करोड़ रुपए की दवाई सीज हुई। यह शातिर लोग डमी फर्म बनाकर नकली और अवैध दवाइयों को खरीदने और बेचने का काम करते थे। 5 महाराष्ट्र और 3 आगरा की डमी फर्म बनाई गई थी। पहले असली दवाइयों के बॉक्स मंगवाए जाते थे, और फिर उन असली दवाइयों की चेन्नई, पांडिचेरी में नकली बनवाई जाती थीं।

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