लखनऊ, 31 दिसंबर 2025:
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नशे के बढ़ते खतरे के खिलाफ साल के आखिरी दिन आज जनआंदोलन का रूप लेती एक बड़ी नशा मुक्ति पदयात्रा निकाली गई। करीब दो हजार लोग शहीद स्मारक से हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा तक पैदल मार्च करते हुए पहुंचे और नशे के दुष्प्रभावों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद की। नए साल से पहले युवाओं और समाज को नशे से दूर रहने का संदेश देने के उद्देश्य से आयोजित इस पदयात्रा में नशे के खिलाफ जोरदार नारे लगाए गए। पदयात्रा का नेतृत्व पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर, मलिहाबाद विधायक जयदेवी कौशल और मोहनलालगंज विधायक अमरेश रावत ने किया।

इस नशा मुक्ति यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी देखने को मिली। हाथों में तख्तियां लेकर महिलाओं ने ‘नशा नाश की जड़ है’ और ‘नशा नहीं, जीवन चुने’ जैसे नारे लगाए। महिलाओं ने कहा कि नशा परिवारों को बर्बाद कर रहा है और युवाओं को मौत की ओर धकेल रहा है। मार्च में शामिल युवाओं ने भी महिलाओं के इस संदेश का समर्थन किया और नशे से दूर रहने का संकल्प लिया।
पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और पूर्व सांसद कौशल किशोर ने कहा कि देश की युवा पीढ़ी तेजी से नशे की गिरफ्त में जा रही है। यह एक अंतरराष्ट्रीय साजिश है, जिसके तहत भारत में ड्रग्स और नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है। उन्होंने बताया कि हर साल करीब 20 हजार लोगों की मौत नशे के कारण हो जाती है। वर्ष 2020 में शराब के कारण उनके बेटे की मृत्यु हुई थी, जिसके बाद से वह लगातार नशा मुक्ति को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

कौशल किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नशा मुक्त भारत अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक देश को नशा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। नए साल के मौके पर नशे का कारोबार तेजी से बढ़ता है और युवाओं को पार्टी के नाम पर इस दलदल में फंसाया जाता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि नए साल की शुरुआत बार और लॉज में नहीं, बल्कि मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद जैसे धार्मिक स्थलों से करें। उन्होंने बताया कि हर साल 20 लाख से अधिक लोगों की मौत कैंसर से होती है, जिसमें नशे की बड़ी भूमिका है।






