
नई दिल्ली, 3 जुलाई 2025
बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को एक बार दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। आज (3 जुलाई गुरूवार) को दिल्ली कोर्ट ने पतंजलि कंपनी द्वारा डाबर च्यवनप्राश को निशाना बनाकर बनाए जा रहे व्यंग्यात्मक विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है। मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस मिनी पुष्करणा ने यह आदेश डाबर की ओर से दायर याचिका पर जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि कंपनी उसके सबसे लोकप्रिय उत्पादों में से एक के बारे में अपमानजनक विज्ञापन बना रही है।
पतंजलि ने ऐसे विज्ञापन बनाए हैं, जिनमें दावा किया गया है कि वह एकमात्र कंपनी है, जिसने आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक ग्रंथों के आधार पर च्यवनप्राश का निर्माण किया है और डाबर जैसे अन्य ब्रांडों के पास प्रामाणिक ज्ञान नहीं है और वे इसका निर्माण कैसे कर सकते हैं। इस पर आपत्ति जताते हुए डाबर कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने कहा कि पतंजलि उसके उत्पादों के बारे में गलत प्रचार कर रही है और इसे तुरंत रोकने का आदेश मांगा।
इसके अलावा याचिका में डाबर के ब्रांड की छवि खराब करने के लिए पतंजलि से 2 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा गया है। पतंजलि विज्ञापन दे रही है कि डाबर च्यवनप्राश में 40 तरह की जड़ी-बूटियाँ हैं। हालाँकि पतंजलि का दावा है कि उसके उत्पादों में 51 जड़ी-बूटियाँ हैं, लेकिन असल में केवल 47 ही हैं। इसके अलावा डाबर ने अपनी याचिका में बताया है कि पतंजलि के उत्पादन में पारे का इस्तेमाल किया जाता है, जो बच्चों के लिए हानिकारक है।
इस पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को तुरंत विज्ञापन बंद करने का आदेश दिया और अगली सुनवाई 14 जुलाई के लिए टाल दी है।






