Uttar Pradesh

बीएचयू की शोध टीम का अध्ययन: बनारस की आर्थिकी का नया सूरज बना “कॉरिडोर”

अंशुल मौर्य

वाराणसी, 8 जून 2025:

बीएचयू के अर्थशास्त्र विभाग के अध्ययन में साढ़े तीन साल पहले बने काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) ने बनारस की उजली आर्थिक तस्वीर सामने आई है। इस पवित्र धाम ने न केवल श्रद्धालुओं के दिलों को जीता, बल्कि वाराणसी के राजस्व को भी 75 फीसदी की शानदार उछाल दी है।

प्रोफेसर की निगरानी में टीम ने किया शोध, राजस्व में हुआ 75 फीसदी का इजाफा

कॉरिडोर के निर्माण से पहले ही काशी में पर्यटकों की संख्या 12 गुना बढ़ गई थी, और यह सिलसिला आज भी रफ्तार पकड़े हुए है। देश-विदेश से भक्तों और सैलानियों का हुजूम उमड़ रहा है, जो बनारस की गलियों को जीवंत कर रहा है। इस भीड़ ने न केवल काशी की आध्यात्मिक चमक को बढ़ाया, बल्कि स्थानीय व्यवसायों को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बीवी सिंह और उनकी शोध टीम ने काशी विश्वनाथ धाम के प्रभाव का गहराई से अध्ययन किया। पता चला कि कॉरिडोर से राजस्व में 75 फीसदी का इजाफा हुआ है।

साड़ियों, मूर्तियों की मांग व ठेले-खोमचे वालों की कमाई भी बढ़ी

उनके निष्कर्ष बताते हैं कि कॉरिडोर के निर्माण ने बनारस को एक आर्थिक पावरहाउस बना दिया है। बनारसी साड़ी, गुलाबी मीनाकारी, हस्तशिल्प, और धातु की नन्हीं मूर्तियों जैसे पारंपरिक उत्पादों की मांग आसमान छू रही है। स्थानीय दुकानदार, पंडे-पुजारी, ट्रैवल एजेंट, ई-रिक्शा और टैक्सी चालक, नाविक, पूजन सामग्री बेचने वाले, और ठेले-खोमचे वालों की कमाई कई गुना बढ़ गई है।

अर्थव्यवस्था को आस्था ने लगाए पंख, रोजगार पर्यटन क्षेत्र में उपजे अवसर

काशी में पर्यटन क्षेत्र ने 50% अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। नाविकों की आय में 90% और होटल संचालकों की कमाई में 80% की जबरदस्त वृद्धि हुई है। असंगठित व्यवसाय अब संगठित रूप ले रहे हैं, और ‘ब्रांड बनारस’ की चमक पूरे देश में गूंज रही है। यह काशी की वह जादुई कहानी है, जहां आस्था ने अर्थव्यवस्था को पंख दिए, और बनारस अब केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक वैश्विक पहचान बन चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button