चंडीगढ़, 25 मार्च 2025
पंजाब सरकार ने पुलिस हिरासत से 450 और किसानों को तुरंत रिहा करने का फैसला किया है, सोमवार को यह घोषणा की गई।पुलिस महानिरीक्षक, मुख्यालय, सुखचैन सिंह गिल ने सोमवार को विवरण साझा करते हुए कहा कि सरकार पहले ही लगभग 800 किसानों को पुलिस हिरासत से रिहा कर चुकी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने महिलाओं, दिव्यांगों, चिकित्सा संबंधी समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों और 60 वर्ष से अधिक आयु के किसानों सहित सभी किसानों को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब सरकार के निर्देशों के अनुरूप हम ऐसे किसानों की रिहाई को प्राथमिकता दे रहे हैं और आज लगभग 450 किसानों को रिहा किया जा रहा है।’’
किसानों की अपनी संपत्ति से संबंधित एक अन्य शिकायत पर उन्होंने कहा कि सरकार ने इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं और किसी को भी किसानों की संपत्ति का दुरुपयोग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। गिल ने कहा, “किसानों की संपत्ति के बारे में चिंता को दूर करने के लिए, पटियाला जिला पुलिस ने एसपी रैंक के अधिकारी जसबीर सिंह को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है और अपनी संपत्ति से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे किसान तत्काल सहायता के लिए सीधे जसबीर सिंह से मोबाइल नंबर 90713-00002 पर संपर्क कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि पटियाला पुलिस ने इस संबंध में पहले ही तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं।
संबंधित घटनाक्रम में, राज्य सरकार ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को सूचित किया कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल पुलिस हिरासत में नहीं हैं और “स्वतंत्र” हैं। सरकार ने कहा कि संयुक्त मंच “संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक)” के नेता को उनकी इच्छा पर पटियाला के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
न्यायमूर्ति मनीषा बत्रा ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह सुनिश्चित करे कि उनका परिवार बिना किसी बाधा के अस्पताल परिसर में उनसे मिल सके। शुक्रवार देर शाम हाईकोर्ट ने दल्लेवाल के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया, जिन्हें कथित तौर पर चल रहे किसान विरोध प्रदर्शन से अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था।
भारती किसान यूनियन (दोआबा) के उपाध्यक्ष गुरमुख सिंह द्वारा दायर याचिका, जो संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा का हिस्सा है, ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी और शाम को अदालत के कार्य समय के बाद न्यायमूर्ति बत्रा की पीठ ने इसे उठाया। याचिका में दल्लेवाल की गैरकानूनी हिरासत का दावा किया गया और उनकी रिहाई की मांग की गई। याचिका में कहा गया है कि हिरासत में लिए जाने से अनुच्छेद 21 और 22 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि कोई औपचारिक गिरफ्तारी प्रक्रिया या आरोप नहीं लगाए गए, याचिका में कहा गया है कि अदालत को दल्लेवाल और अन्य “लापता किसान नेताओं” की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी हस्तक्षेप करना चाहिए।
19 मार्च को चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक के बाद दल्लेवाल को एक अन्य किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के साथ हिरासत में लिया गया था। इसके बाद पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी में अंतर-राज्यीय सीमाओं पर किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों पर साल भर से लगाए गए नाके को हटा दिया। पुलिस ने रविवार सुबह दल्लेवाल को पटियाला के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। सोमवार को उनका अनशन 119वें दिन में प्रवेश कर गया।
पटियाला स्थानांतरित किए जाने से पहले दल्लेवाल को कड़ी सुरक्षा के बीच जालंधर छावनी स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में रखा गया था। याचिकाकर्ता ने कहा, “हिरासत में लेना किसानों के आंदोलन को दबाने और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों में भय पैदा करने का एक प्रयास प्रतीत होता है, जो संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत भाषण और अभिव्यक्ति, सभा और संघ की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।”