बिहार में जमीन सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. राज्य के करीब 45 हजार राजस्व ग्रामों में सर्वे का कार्य किया जाना है. इस सर्वे कार्य को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर जुलाई 2025 तक की समयसीमा तय की गई है. इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य जमीन से जुड़े विवादों को कम करना, भूमि रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण करना और सरकारी जमीन को कब्जे से मुक्त कराना आदि है.
भूमि के सटीक आंकड़ों से सरकार को कृषि, सिंचाई और अन्य विकास योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी. सही भूमि की पहचान और उसका उपयोग सुनिश्चित होने से सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन होगा, जिससे राज्य के विकास में तेजी आएगी. किसानों और अन्य लाभार्थियों को समय पर सही लाभ मिल सकेगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति में भी सुधार आएगा.
भूमि का सही और स्पष्ट रिकॉर्ड होने से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी. इससे सरकार को विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने में सुविधा होगी और भूमि मालिकों को उनके अधिकारों का उचित संरक्षण भी मिलेगा. इससे भूमि अधिग्रहण के मामलों में देरी और विवाद कम होंगे.