प्रयागराज,21 जनवरी 2025
महाकुंभ में आए दिगंबर कृष्ण गिरि, जिन्हें एमटेक बाबा के नाम से जाना जाता है, एक समय निजी कंपनी में काम करते थे और 40 लाख रुपये की सालाना सैलरी प्राप्त करते थे। बेंगलुरु के रहने वाले इस बाबा ने 2010 में संन्यास लिया और 2019 में नागा संत बने। वह एक समय 400 कर्मचारियों के बॉस थे और कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद कई कंपनियों में काम किया। उनकी आखिरी नौकरी दिल्ली में जनरल मैनेजर के पद पर थी।
एमटेक बाबा ने हरिद्वार में 10 दिन तक भीख मांगी और वहां के अनुभव को अपनी जीवन यात्रा का एक अहम हिस्सा माना। उनका मानना है कि ज्यादा पैसा होने से जीवन की साधारणता और मानसिक शांति प्रभावित होती है। उन्होंने निरंजन अखाड़ा से जुड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह महंत श्री राम रतन गिरी से दीक्षा लेने के लिए उत्तरकाशी के एक छोटे से गांव में बस गए।