
ओटावा, 19 जून 2025:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 23 घंटे के कनाडा दौरे के 24 घंटे के भीतर ही बड़ा कूटनीतिक असर सामने आया है। कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS (कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा) ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि खालिस्तानी तत्व कनाडा की धरती से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं और वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब प्रधानमंत्री मोदी G7 समिट में हिस्सा लेने के लिए 17 जून को कनाडा पहुंचे थे। उनकी कनाडा यात्रा के दौरान कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से भी मुलाकात हुई, जहां दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा संबंधों में सुधार और विवादास्पद निज्जर हत्या मामले पर चर्चा की।
कई वर्षों से भारत कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर चिंता जाहिर करता रहा है। नई दिल्ली का कहना रहा है कि कनाडा भारत विरोधी तत्वों का अड्डा बन चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने इस पर कोई खास कदम नहीं उठाया, लेकिन मार्क कार्नी के सत्ता में आने के बाद स्थिति बदलती दिख रही है।
CSIS की रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तान समर्थक न केवल भारत को निशाना बनाते हैं, बल्कि वे कनाडा में फंडिंग, हथियारों की खरीद और विरोध प्रदर्शनों के जरिए अपने एजेंडे को बढ़ावा देते हैं। कनाडा में Project Pelican नामक एक अभियान के जरिए खालिस्तानी तत्वों से जुड़े ड्रग और आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़ भी किया गया है, जिसका संबंध मैक्सिकन ड्रग कार्टेल और अमेरिका के डिस्ट्रीब्यूटर्स से भी था।
प्रधानमंत्री मोदी और मार्क कार्नी की बातचीत में दोनों देशों के बीच उच्चायुक्तों की नियुक्ति, अटकी व्यापार वार्ता को दोबारा शुरू करने, और डिजिटल, तकनीकी तथा खनिज सहयोग पर चर्चा हुई। कार्नी ने कहा कि खालिस्तान मुद्दे पर वे न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के पक्ष में हैं।
यह घटनाक्रम भारत-कनाडा रिश्तों में नया मोड़ लाने वाला माना जा रहा है।