नई दिल्ली, 14 सितंबर 2024
येचुरी ने लोकतांत्रिक और व्यावहारिक राजनीति की जरूरतों के लिए वास्तविकता को भी स्वीकार किया। यही वजह रही कि वह गठबंधन की राजनीति में अहम किरदार बनकर उभरे। येचुरी ने राजनीति की शुरुआत बीजेपी के बड़े नेता रहे अरुण जेटली के साथ ही की थी। खास बात है कि दोनों नेताओं ने एम्स दिल्ली में ही अंतिम सांस ली। ऐसे में कई बातें हैं जो दोनों राजनेताओं में समान हैं।
सीताराम येचुरी और अरुण जेटली दोनों का ही जन्म 1952 में हुआ था। सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (अब चेन्नई), तमिलनाडु में एक तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वहीं, अरुण जेटली का जन्म भी 1952 में दिसंबर में दिल्ली में हुआ था। सीताराम येचुरी ने हैदराबाद से मैट्रिक की पढ़ाई के बाद दिल्ली आ गए। येचुरी ने 1970 में सीबीएसई हायर सेकेंडरी परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया।
इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने अर्थशास्त्र में बी.ए. (ऑनर्स) किया। इसके बाद जेएनयू से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की। वहीं, जेटली ने 1960-69 तक सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। जेटली ने 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की।
सीताराम येचुरी ने 1974 में भारतीय राजनीति में कदम रखा। उस समय वह स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के सदस्य बने। वे 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हो गए। उस समय वे दिल्ली में जवाहरलाल विश्वविद्यालय में छात्र थे। येचुरी को 1975 में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था। 1977 में इमरजेंसी हटने के बाद जेल से रिहा होने के बाद सीताराम येचुरी एक साल में तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए।
दूसरी तरफ, जेटली ने सत्तर के दशक में वे दिल्ली विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र कार्यकर्ता थे। 1974 में विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी बने। इमरजेंसी के दौरान जेटली को पहले अंबाला जेल और फिर दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था। 1977 में, वे लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के संयोजक थे। इसके बाद उन्हें दिल्ली ABVP का अध्यक्ष और ABVP का अखिल भारतीय सचिव नियुक्त किया गया। बाद में, वे बीजेपी की युवा शाखा के अध्यक्ष बने।
दोनों नेता ने एक साथ राजनीति भले ही शुरू की लेकिन दोनों की विचारधारा बिल्कुल थी। जेटली जहां बीजेपी के साथ राजनीति में आगे बढ़े वहीं, येचुरी ने वामपंथी विचारधारा के साथ अंत तक अपना राजनीतिक सफर जारी रखा। पांच दशक सफर में दोनों राजनेताओं ने दिखाया कि कैसे अपनी मजबूत वैचारिक आधार को राजनीति की कला में निपुणता के साथ सामने रखा जा सकता है। येचुरी तो दिल्ली में सीपीएम का चेहरा ही बन गए थे। वे 2005 से 2017 तक राज्यसभा सांसद रहे।
वहीं, जेटली, वाजपेयी सरकार से लेकर मोदी सरकार में रक्षा मंत्रालय से लेकर वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभाला। वहीं, 2004 में जब वामपंथी दलों ने मई 2004 में पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया, उस समय येचुरी की भूमिका काफी अहम रही थी। उस समय उन्होंने महत्वपूर्ण वार्ताकार की भूमिका निभाई थी। साथ हीकांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पर नीति-निर्माण के लिए दबाव डाला था।