
गोरखपुर, 16 जुलाई 2025:
गोरखपुर स्थित झूलेलाल मंदिर में बुधवार से सिंधी समाज द्वारा चालिहो महोत्सव की भव्य शुरुआत की गई। भगवान झूलेलाल की पूजा-अर्चना के साथ इस 40 दिवसीय धार्मिक पर्व का आगाज हुआ, जिसमें श्रद्धालु मन, वचन और कर्म से पवित्रता का संकल्प लेते हैं। इस अवसर पर कलश स्थापना, विशेष पूजा, भजन संध्या और झांकियों का आयोजन किया गया।
पुजारी संत रविदास ने बताया कि चालिहो पर्व सिंधी समाज के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह महोत्सव भगवान झूलेलाल की आराधना के रूप में मनाया जाता है, जिसमें अंतिम 9 दिनों की कठिन साधना नवरात्र व्रत के रूप में की जाती है। श्रद्धालु इन दिनों मंदिर परिसर में निवास करते हुए तपस्या और पूजा में लीन रहते हैं।
इस पर्व की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी अत्यंत प्रेरणादायक है। लगभग हजार वर्ष पूर्व सिंध प्रांत में मिरख बादशाह के अत्याचारों से त्रस्त सिंधी समाज ने सिंधु नदी के तट पर भगवान वरुण से प्रार्थना की। जब 31 दिनों तक कोई चमत्कार नहीं हुआ, तो लोगों ने अंतिम 9 दिन कठोर व्रत रखते हुए आराधना की। 40वें दिन भगवान वरुण का अवतरण हुआ, जिन्होंने घोषणा की कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नसरपुर गांव में एक बालक का जन्म होगा जो समाज को अत्याचार से मुक्ति दिलाएगा।
इस बालक का नाम आगे चलकर उदय चंद पड़ा, जो ठाकुर रतन राय और माता देवकी के घर जन्मा। उसके दिव्य चमत्कारों से प्रभावित होकर सिंधी समाज ने उसे भगवान झूलेलाल के रूप में पूजना शुरू कर दिया। बालक के पालने में झूलने की छवि से ही ‘झूलेलाल’ नाम प्रचलित हुआ।
महोत्सव के समापन पर 25 अगस्त को सिंधी समाज द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। समाज के अध्यक्ष दीवान चंद साधवानी ने बताया कि यह यात्रा धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक होगी। इस पर्व के दौरान श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक आयोजनों में भाग लेंगे, जिनमें भजन-कीर्तन, झांकियों का दर्शन, पूजा-पाठ और उपवास शामिल हैं।
 
				 
					





