देहरादून, 1 दिसंबर 2025:
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के एक स्कूल में आयोजित उत्तराखंड लोक विरासत-2025 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि राज्य की पहचान, जड़ों और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की सदियों पुरानी लोक संस्कृति झोड़ा, छपेली, चांचरी, पंवारी जैसे नृत्य व गीतों से लेकर पिछोड़ा, फेटूआ, पगड़ी जैसी पारंपरिक वेशभूषाओं और रिंगाल, काष्ठ कला, ऊनी वस्त्र जैसे शिल्पों को सामाजिक भावनाओं, सामूहिकता और राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार बताया।
उन्होंने कहा कि हरेला, फूलदेई, इगास-बग्वाल जैसे त्यौहार प्रकृति से गहरे जुड़ाव के साथ सामाजिक एकता के प्रतीक हैं। नई पीढ़ी को लोक परंपराओं से जोड़ने के लिए गुरु-शिष्य परंपरा आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। कलाकारों के सत्यापन, पेंशन और कोरोना काल में दी गई सहायता का भी उल्लेख किया।
धामी ने बताया कि सरकार साहित्य, कला और पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा देने में निरंतर कार्य कर रही है। साहित्य गौरव सम्मान, एक जनपद-दो उत्पाद योजना और हाउस ऑफ हिमालयाज इसका उदाहरण है। महिला सशक्तिकरण पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि लखपति दीदी योजना से 1.68 लाख से अधिक महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने कलाकारों और आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का आह्वान किया। आयोजन को जनप्रतिनिधियों, कलाकारों और स्थानीय लोगों की उपस्थिति ने विशेष बनाया।






