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सीएम ने उतारी भक्त प्रहलाद की आरती, कहा- बिना सहमति न डालें रंग, रविकिशन ने सुनाया होली गीत

गोरखपुर, 13 मार्च 2025:

यूपी के सीएम व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ
ने गोरखपुर पांडेयहाता में होलिका दहन उत्सव में हिस्सा लिया। सिर पर पगड़ी पहन कर पूजा अर्चना की व समिति की ओर से आयोजित भक्त प्रहलाद शोभायात्रा के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित किया। सीएम ने पर्व का महत्व बताया और सौहार्द बनाये रखने के लिए नसीहत भी दी। इस मौके पर वहां रहे सांसद रविकिशन ने उन्हें स्वरों में पिरोकर होली गीत भी सुनाया।

आरती उतारी फूल बरसाए, बोले-पारंपरिक होली गीतों को जिंदा रखें मोहल्ला टोलियां

पांडेयहाता में हुए इस कार्यक्रम में सीएम ने अपने संबोधन में पर्व के हर पहलू को छुआ। उनके शब्दों पर जमकर तालियां बजीं। जोश में दिखे सांसद रविकिशन शुक्ल ने एक होली गीत ‘योगी खेलेलें फाग, मोदी संग लिये हो’ सुनाया। सीएम ने होलिका दहन शोभायात्रा के लिए सजाए गए रथ पर भक्त प्रहलाद की आरती उतारी। उनके चित्र पर फूल बरसाने के बाद उपस्थित जनसमूह के साथ फूलों से होली खेली। सीएम ने कहा कि सत्य का मार्ग ही धर्म का मार्ग है। अस्थायी विजय शॉर्टकट से हासिल नहीं हो सकती और अवसरवादिता महान नहीं बना सकती। होली पर पारंपरिक गीतों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। पारंपरिक लोक गीत, लोक गाथा इतिहास का हिस्सा होते हैं। अगले वर्ष तक यह प्रयास होना चाहिए कि पारंपरिक होली गीतों को पुनर्जीवित करने के लिए मोहल्लों में टोलियों का गठन किया जाए।

होलिका दहन का जिक्र कर कहा- कर्मों की सजा मिलकर रहती है

मुख्यमंत्री ने होलिकादहन, भक्त प्रहलाद की रक्षा, हिरण्यकश्यप के वध के लिए भगवान नृसिंह के अवतरण का उद्धरण सुनाते हुए कहा कि किसी को भी गुमान में नहीं रहना चाहिए। आज नहीं तो कल , कर्मों की सजा जरूर मिलती है। उन्होंने कहा कि भक्त प्रहलाद के चरित्र से प्रेरणा लेकर हमें सन्मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। सबसे बड़ी भक्ति भावना यह है कि हम अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव रखें।

सनातन परंपरा बनी रहे, सौहार्द ना बिगड़े

मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि हजारों वर्षों की सनातन परंपरा का अनुकरण कर सौहार्द से रंगभरी होली मनाएं। सौहार्द से पर्व का उत्साह व उमंग कई गुना बढ़ जाता है। बिना सहमति किसी पर जबरन रंग न डालें।, बीमार लोगों पर रंग न डालें। उन्होंने कहा कि होलिकादहन को अहंकार और कुप्रवृत्तियों के भी दहन का अवसर बनाना चाहिए।

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