वाराणसी 18 जुलाई 2025:
यूपी के वाराणसी स्थित वसंत महिला महाविद्यालय में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भगवान बिरसा मुंडा पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने जनजातियों को भारत का आदि समुदाय बताकर सौहार्द बिगाड़ने वालों पर हल्ला बोला। सीएम ने कहा कि फेक अकाउंट बनाकर जातीय संघर्ष फैलाने का काम करने वालों को चिन्हित करना होगा क्योंकि ये लातों के भूत बातों से नहीं मानने वाले।
सनातन को चुनौती मिलने पर अग्रिम पंक्ति में खड़ा दिखा जनजातीय समुदाय
महिला महाविद्यालय में सीएम ने अपने सम्बोधन में।किसी दल किसी नेता का नाम लिए बिना माहौल बिगाड़ने की कोशिश पर गुस्सा जाहिर किया। इससे पहले उन्होंने भारत देश मे जनजाति का महत्व रेखांकित करते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय भारत का ‘आदि समुदाय’ है, भारत की परंपरा में रचा-बसा हुआ समुदाय है, जिसने सनातन परंपरा को सदैव एक नई मजबूती प्रदान की है। जब भी सनातन धर्म के सामने कोई चुनौती आई है, तो भारत का जनजातीय समाज अग्रिम पंक्ति में मुकाबले के लिए खड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2021 में 15 नवंबर की तिथि को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की प्रेरणा दी थी। वेदों की ऋचाएं किसी राजमहल के अंदर नहीं, जंगल के सुरम्य वातावरण में लिखी गईं।
कांवड़ यात्रियों को उपद्रवी व आतंकवादी कहने वालों की मानसिकता देश विरोधी
कांवड़ यात्रा में न जाति का भेद है, न मत का, न सम्प्रदाय का. आज कांवड़ यात्रा भक्तिभाव से चल रही है। आज कांवड़ यात्री, भक्ति-भावना से चलते हैं, 200, 300, 400 किलोमीटर कांवड़ को कंधे पर लेकर चले जाते हैं, हर हर बम बोलते हुए, लेकिन उनका भी मीडिया ट्रायल होता है, उन्हें उपद्रवी आतंकवादी तक बोला जाता है। ये वो मानसिकता है, जो हर प्रकार से भारत की विरासत और आस्था को अपमानित करने का काम करते हैं
केसरिया गमछा डाले था मुंह से निकला ‘या अल्लाह’
सीएम ने कहा, “हमारी चुनौती ऐसी है कि कुछ लोग समाज के बीच लोगों को मुख्यधारा से अलग करने का काम करते हैं।” उन्होंने एक पुरानी घटना का जिक्र करते हुए कहा, ” दो-तीन साल पहले एक आगजनी की घटना हुई। मुझे लगा कि इस समुदाय ने ये घटना नहीं की होगी। उसके वीडियो फुटेज देखे गए तो में एक व्यक्ति केसरिया गमछा ओढ़े था, बीच में उसके मुंह से निकला ‘या अल्लाह’। ऐसे लोगों को चिन्हित करने की आवश्यकता है। यही लोग सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाकर जातीय संघर्ष फैलाने का काम करते हैं।
मुहर्रम में ताजिये के लिए नियम बनाये थे तोड़े तो कह दिया लाठी मारकर बाहर करो
सावन का महीना चल रहा है, इससे पहले मुहर्रम था। हमने नियम बना दिए थे कि ताजिए की लंबाई सीमित रखें, इससे बिजली और पेड़ की टहनियों को नुकसान पहुंचता था। आपके लिए हम किसी इलाके की बिजली क्यों कांटे, जो पेड़ 40 साल में बड़ा हुआ उसकी टहनी क्यों कांटे जिसने मेहनत से घर बनाया उसका छज्जा क्यों गिराएं। जौनपुर में एक घटना हुई, ताजिया को इतना ऊंचा किया कि हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गए, 3 लोग मारे गए, बाद में उपद्रव हुआ। इस पर पुलिस ने कहा कि क्या करें, इस पर मैंने कहा कि लाठी मारकर इन्हें बाहर करो, क्योंकि ‘ये लातों के भूत हैं, बातों से मानेंगे नहीं’.
सरकार ने जनजातियों को दिए सभी अधिकार
पिछली सरकारों की कमी रही कि वे जनजातीय समाज तक शासन की सुविधाएं और संवाद नहीं पहुंचा सकीं। जहां संवाद बाधित होगा, वहां संघर्ष की स्थिति पैदा होगी। हमारी सरकार ने 2017 के बाद जनजातीय गांवों को राजस्व गांव का दर्जा दिया। 1947 से 2017 तक इन गांवों में मतदान का अधिकार तक नहीं था। हमने राशन कार्ड, जमीन के पट्टे और पेंशन जैसी सुविधाएं दीं। सोनभद्र, चंदौली, मीरजापुर और नेपाल की तराई में जनजातीय समाज को योजनाओं से जोड़ा गया।