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एक पेड़ दिखाकर वोट लिया, पूरा जंगल अडानी को दे दिया… कांग्रेस का हमला, होर्डिंग से भाजपा को घेरा

लखनऊ में कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय के बाहर लगाए गए एक होर्डिंग ने राजनीतिक हलकों में मचाई हलचल, लिखा... बचा लो अरावली, वरना सांस भी बिकेगी

लखनऊ, 24 दिसंबर 2025:

अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर देशभर में चल रही सियासी बहस के बीच यूपी की राजधानी लखनऊ में कांग्रेस ने भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया है। लखनऊ स्थित कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय के बाहर लगाए गए एक बड़े होर्डिंग ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस होर्डिंग के जरिए अरावली की पहाड़ियों के कथित दोहन को लेकर सरकार और उद्योगपति गौतम अडानी पर सीधा निशाना साधा गया है।

होर्डिंग में पीएम नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी की एक साथ तस्वीर दिखाई गई है, जिसके साथ बुल्डोजर द्वारा पहाड़ों और पेड़ों को काटते हुए दृश्य दर्शाया गया है। इस प्रतीकात्मक चित्रण के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश किया जा रहा है। होर्डिंग पर लिखे नारे… ‘एक पेड़ मां के नाम, पूरा जंगल अडानी के नाम और एक पेड़ दिखाकर वोट लिया, पूरा जंगल अडानी को दे दिया’ लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इसके साथ ही चेतावनी भरे शब्दों में लिखा गया है… ‘बचा लो अरावली, वरना सांस भी बिकेगी।’

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यह होर्डिंग एनएसयूआई पूर्वी के महासचिव आदित्य शुक्ला द्वारा लगवाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार एक पेड़ लगाने के अभियान को बड़े स्तर पर प्रचारित करती है, लेकिन दूसरी ओर पूरे के पूरे जंगल निजी हाथों में सौंपे जा रहे हैं। आदित्य ने आरोप लगाया कि अरावली पर्वत श्रृंखला को काटने की अनुमति देकर सरकार पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।

उन्होंने दावा किया कि अडानी समूह को 99 मीटर तक पर्वत काटने की अनुमति दी गई है जबकि अरावली का करीब 93 प्रतिशत हिस्सा 99 मीटर से कम ऊंचाई का है। ऐसे में यह अनुमति पूरी पर्वत श्रृंखला को खत्म करने के समान है। आदित्य ने कहा कि देशभर में आम जनता अरावली को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रही है। आंदोलन कर रही है लेकिन सरकार आंख मूंदे बैठी है।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अरावली को बचाना केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि हमारा नैतिक कर्तव्य और धर्म है। यह लड़ाई आने वाली पीढ़ियों के स्वच्छ पर्यावरण और सुरक्षित भविष्य के लिए है, और जब तक अरावली को बचाया नहीं जाता, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

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